Jammu Kashmir में चुनाव टलने का क्या हैं असली सच ?

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फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती

Jammu Kashmir की अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट पर तीसरे चरण में मतदान होना तय हुआ था मगर अब वोटिंग की तारीख 25 मई कर दी गई है। एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी, जम्मू-कश्मीर पीपल कॉन्फ्रेंस और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने चुनाव आयोग से 7 मई को होने वाला मतदान स्थगित करने की गुजारिश की थी तो वहीं दूसरी तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस चाहती थी कि इस सीट पर वोटिंग 7 मई को ही करवाई जाए।

सब समझेएंगे आज के इस वीडियों में- https://www.youtube.com/watch?v=4NNcHV0-UHg

बीजेपी ने वोटिंग की तारीख टालने के लिए क्या तर्क दिए थे?

जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर वोटिंग 7 मई को होनी थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर की चार राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव आयोग का रुख किया।

  • जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी,
  • पीपुल्स कॉन्फ्रेंस,
  • डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी और
  • भारतीय जनता पार्टी

तर्क दिया कि अनंतनाग और राजौरी को जोड़ने वाली इकलौती मुगल रोड अचानक बर्फबारी की वजह से बंद हो गई है। जिस वजह से चुनाव प्रचार प्रभावित हो रहा है, लिहाजा वोटिंग की तारीख को आगे बढ़ाया जाए। 

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी और वहीं जम्मू-कश्मीर की दो और पार्टियों फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी pdp ने बीजेपी और तमाम दूसरी पार्टियों के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि मुगल रोड खुली है और उस सड़क के जरिए अनंतनाग से राजौरी जाकर और राजौरी से अनंतनाग जाकर चुनाव प्रचार किया जा सकता है। 

नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का ये भी तर्क था कि मौसम खराब होने के बावजूद अनंतनाग-राजौरी पर ट्रैफिक नहीं रुकता है, लिहाजा चुनाव टालने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन चुनाव आयोग ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के तर्कों को खारिज करते हुए चुनाव की तारीख 7 मई से बढ़ाकर 25 मई कर दी है।

Jammu Kashmir के चुनाव आयोग के वोटिंग टालने के फैसले की असली कहानी क्या है?

अब चुनाव आयोग के लिए तो वजह बर्फबारी ही है, लेकिन इसकी राजनीतिक कहानी कुछ और भी है। दरअसल, साल 2022 से पहले जम्मू-कश्मीर में कुल 6 लोकसभा सीटें हुआ करती थीं। इनमें से दो सीटें जम्मू और उधमपुर जम्मू रीजन में थीं, तो कश्मीर रीजन में श्रीनगर, बारामुला और अनंतनाग तीन सीटें थीं। बची एक सीट लद्दाख की थी, लेकिन 2022 में परिसीमन आयोग ने लोकसभा सीटों का नया नक्शा तय किया।

इसमें तय हुआ कि जम्मू रीजन में दो ही लोकसभा सीटें रहेंगी, लेकिन इसके पुंछ जिले और राजौरी जिले की दो तिहाई सीटों को कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट से जोड़ दिया गया और नई सीट बना दी गई अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट। अब इस नई लोकसभा सीट में विधानसभा की कुल 18 सीटें, 11 सीटें कश्मीर रीजन के शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिले की हैं।

परिसीमन आयोग ने जब अनंतनाग-राजौरी सीट को नए सिरे से तय किया तो उस वक्त भी कश्मीर घाटी में हंगामा हुआ। तब जम्मू-कश्मीर में पहले की पार्टियों ने आरोप लगाया कि कश्मीर घाटी में अपनी राजनीति मजबूत करवाने के लिए बीजेपी ने ये पैंतरा आजमाया है, ताकि जम्मू रीजन के वोट के जरिए वो घाटी में भी दाखिल हो सके। ऐसे में बदली हुई स्थितियों में अनंतनाग-राजौरी की सीट पर करीब 18,30,000 वोटर हो गए हैं। जिसमें से करीब 10,94,000 वोटर कश्मीर घाटी के हैं तो करीब 7,35,000 वोटर जम्मू रीजन के हैं।

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अब ये तो साफ है कि बीजेपी जम्मू रीजन में मजबूत स्थिति में है, लेकिन कश्मीर घाटी में अभी बीजेपी को अपनी जमीन तलाश करनी है। इसकी वजह है इलाके की आबादी जिसमें घाटी में पड़ने वाले करीब 7,35,000 वोटर्स में से करीब 3,00,000 गुज्जर और बकरवाल, बाकी के वोट पहाड़ी एथनिक ग्रुप के हैं, जिनमें हिंदू और सिख के अलावा गैर गुज्जर मुस्लिम हैं।

ऐसे में इस बार अनंतनाग-राजौरी सीट पर अपने उम्मीदवार न उतारने के बावजूद बीजेपी चाहती थी कि वोटिंग में थोड़ी देर की जाए ताकि नई बनी सीट के वोटरों तक केंद्र सरकार की योजनाएं पहुंच सके और अपनी पार्टी के जफर मिन्हास की जीत सुनिश्चित की जा सके, जिन्हें बीजेपी ने अपना समर्थन दिया है। इस बीच बर्फबारी भी हो गई, अनंतनाग को राजौरी से जोड़ने वाली मुगल रोड का ट्रैफिक भी बाधित हो गया और तब चुनाव आयोग ने तय किया कि न तो नामांकन की तारीख बदलेगी, न नाम वापस लेने की तारीख बदलेगी। बस बदलेगी तो वोटिंग की तारीख जो 7 मई की बजाय 25 मई को होगी।

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