Kala Namak: जोखिम भरा होता है काला नमक बनाने का प्रोसेस

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Kala Namak
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भारत के मसाले पूरी दुनिया में मशहूर हैं। हम रोज़ अपने खाने में कई तरह के मसालों का इस्तेमाल करते हैं और इन्हीं में से एक है Kala Namak। अपने खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए हम उसमें काला नमक डालते हैं। चुटकी भर नमक खाने का जायका बढ़ा देता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये कैसे और कहां बनाया जाता है।

Kala Namak बनाना है जोखिम का काम

काले नमक का इस्तेमाल चाट, चटनी, रायता जैसे कई दूसरे व्यंजनों में किया जाता है। काला नमक बनाना आसान नहीं है। इसे बनाने में मेहनत के साथ-साथ जोखिम भी रहता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि जैसे सेंधा नमक सीधे उपलब्ध होता है वैसे ही काला नमक भी होता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है।

Kala Namak कई तरह के प्रोसेस से होकर गुजरता है। इसे बनाने का काम काफी मुशकिल होता है। ये सही है कि इसमें नेचुरल कम्पाउंड काफी होता है, लेकिन इसे फिल्टर करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसका काला या गहरा रंग इसके सल्फर कंटेंट की वजह से होता है। जो खाने में बहुत ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए इसे एक प्रोसेस के ज़रिए फिल्टर किया जाता है। तो चलिए जानते हैं क्या है काला नमक बनाने का प्रोसेस।

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क्या है Kala Namak बनाने का प्रोसेस?

काला नमक जिसे हिमालयन ब्लैक साल्ट, इंडियन साल्ट, लोबन, काला पाउडर जैसे नामों से जाना जाता है, असल में हिमालय के आस-पास के इलाकों से ही आता है। नेचुरल Kala Namak चट्टानों से ही लिया जाता है। लेकिन वो सीधे खाने लायक नहीं होता है। इसे फिल्टर करके खाने लायक बनाया जाता है। काला नमक भट्टी के अंदर एक केमिकल प्रोसेस से बनाया जाता है।

Kala Namak बनाने का प्रोसेस

नेचुरल रूप से पाए जाने वाले सोडियम सल्फेट को तीखे हाइड्रोजन सल्फाइड और सोडियम सल्फाइड में बदले जाने का प्रोसेस होता है। इसके बाद चीनी मिट्टी के मटकों में चारकोल के साथ हरड़ के बीज, आंवला, बहेड़ा, बबूल छाल, नैट्रॉन आदि चीजों को मिलाया जाता है। इन्हें एक भट्टी में खूब सारे उपले डालकर आग जलाई जाती है। उसमें काफी ज्यादा कोयला डाला जाता है, फिर भट्टी में मटकों को लाइन से रखा जाता है और ऊपर से भी कोयला डाला जाता है, ताकि खाली जगह ना रह जाए।

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फिर ईटों से मटकों को पूरी तरह से ढकने के बाद पकने के लिए 24 घंटे तक छोड़ दिया जाता है। इसमें जो केमिकल रिएक्शन होता है उससे नमक बनता है। आग के गोले बन चुके मटकों को भट्टी से निकाला जाता है और ठंडा होने के बाद तोड़कर काला नमक बाहर निकाल लिया जाता है। इसका रंग काला होता है, लेकिन पीसे जाने पर ये गुलाबी दिखने लगता है इसलिए अगर आप काले नमक का पत्थर खरीदते हैं तो ये अलग रंग का होता है और पाउडर बनने पर ये अलग रंग का होता है।

कैसे कर सकते हैं काले नमक का उपयोग?

काले नमक को एक ठंडी तासीर वाला मसाला माना जाता है। इसका इस्तेमाल एक पाचन सहायक की तरह किया जाता है। ये भी माना जाता है कि ये पेट की गैस और पेट की जलन में राहत देता है। इसे कभी-कभी ज्यादा बल्ड प्रैशर या कम नमक का आहार लेने वाले लोग भी इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि ये माना जाता है कि इसमे आम नमक के मुकाबले कम सोडियम होता है और ये खून में सोडियम की मात्रा नहीं बढ़ाता।

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