Isha Foundation आश्रम पर क्यों धमक पड़ी 150 पुलिस अफसरों की बटालियन? क्या हैं पूरी कहानी?

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Isha Foundation

Isha Foundation Case: 150 पुलिस अधिकारियों की एक बटालियन ने मंगलवार (01 अक्टबूर) को Thondamuthur में Isha Foundation के आश्रम में तलाशी अभियान शुरू किया। इससे पहले Madras High Court ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट मांगी थी। उसके बाद ये action लिया गया। दो महिलाओं के पिता ने कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने Foundation के खिलाफ सभी आपराधिक मामलों की रिपोर्ट मांगी है फाउंडेशन ने इसे सामान्य जांच बताया।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस की ओऱ से चलाए गए तलाशी अभियान में तीन DSP भी शामिल थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभियान में कैदियों की गहन जांच और फाउंडेशन के कमरों की तलाशी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

Isha Foundation ने क्या कहा?

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए ईशा योग केंद्र ने कहा कि जो कुछ हो रहा था, वह केवल एक जांच थी। फाउंडेशन की ओर से बयान जारी करते हुए कहा गया, “अदालत के आदेश के मुताबिक, SP सहित पुलिस सामान्य जांच के लिए ईशा योग केंद्र में आई है। वे निवासियों और स्वयंसेवकों से पूछताछ कर रहे हैं, उनकी जीवनशैली को समझ रहे हैं, यह समझ रहे हैं कि वे कैसे आते हैं और कैसे रहते हैं, आदि.”

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Isha Foundation का क्या है मामला?

अदालत ने Retired Professor डॉ. एस कामराज की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस को जांच कर Report दाखिल करने का आदेश दिया था। डॉ. एस कामराज ने दावा किया था कि उनकी दो बेटियों गीता कामराज (42) और लता कामराज (39) को कोयंबटूर स्थित Foundation में बंदी बनाकर रखा गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि संगठन लोगों का Brainwash कर रहा है, उन्हें साधु बना रहा है और उनके परिवारों से उनका संपर्क सीमित कर रहा है।

Isha Foundation पर मद्रास हाई कोर्ट ने उठाए सवाल

अदालत ने Isha Foundation के संस्थापक धर्मगुरु जग्गी वासुदेव के जीवन में स्पष्ट विरोधाभासों पर सवाल उठाया। जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और वी शिवगनम ने पूछा कि सद्गुरु, जैसा कि जग्गी अपने अनुयायियों के बीच जाने जाते हैं, जिनकी अपनी बेटी विवाहित है और अच्छी तरह से बसी हुई है, अन्य युवतियों को अपने सिर मुंडवाने, सांसारिक जीवन का त्याग करने और अपने योग केंद्रों में संन्यासी की तरह रहने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं।

Isha Foundation: डॉ. कामराज की बेटियों ने क्या कहा?

जब कामराज की याचिका में कहा गया कि उनकी दो बेटियों को कोयंबटूर के वेल्लियांगिरी की तलहटी में स्थित संगठन के योग केंद्र में उनकी इच्छा के खिलाफ रखा गया है तो अदालत में मौजूद दोनों महिलाओं ने कहा कि वे अपनी इच्छा से वहां रह रही हैं और उन्होंने किसी भी तरह की मजबूरी या हिरासत से इनकार किया।

हालांकि कामराज की बेटियों ने जोर देकर कहा कि ईशा में उनका रहना स्वैच्छिक था, लेकिन जस्टिस सुब्रमण्यम और शिवगनम पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थे। जस्टिस शिवगनम ने कार्यवाही के दौरान टिप्पणी की, “हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे जीवन में अच्छी तरह से स्थापित किया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांतवासी की तरह जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित क्यों कर रहा है। यही संदेह है।”

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Isha Foundation: याचिका में POCSO मामले का भी जिक्र

याचिका में फाउंडेशन में काम करने वाले एक डॉक्टर के खिलाफ POCSO मामले के बारे में भी बताया गया है। वहीं आदेश में कहा गया, “याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया है कि हाल ही में एक डॉक्टर के खिलाफ POCSO के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है, जो उसी संस्थान में काम कर रहा है। उक्त व्यक्ति के खिलाफ आरोप यह है कि उसने आदिवासी सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 12 लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की।”

बेटियों के बयानों और Isha Foundation के पेश किए गए बचाव के बावजूद, अदालत ने मामले को एक कदम आगे बढ़ाते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक ई राज थिलक को 4 अक्टूबर तक एक व्यापक स्थिति report प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस report में फाउंडेशन के खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामलों को शामिल किए जाने की उम्मीद है।

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