05 भागवत गीता उद्धरण हिंदी में!

ध्यान का अर्थ है भीतर से मुस्कुराना और सेवा का अर्थ है इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना। 

हृदय से जो दिया जा सकता है वो हाथ से नहीं और मौन से जो कहा जा सकता है वो शब्द से नहीं। 

सुकून संसार की सबसे महँगी वस्तू है, जो केवल आपको प्रभु की भक्ति से ही मिलेगी । 

मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है, क्योंकि वही लोग उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं। 

जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नही रह जाता, अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है। 

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