“ सावन में मौसमी बदलाव की वजह से हमारी पाचन क्रिया मंद पड़ जाती है। व्रत रखने से हमारे पाचन तंत्र को कुछ विराम मिलता है और शरीर के सारे दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
“ सावन के महीने में पत्तेदार सब्जियां पालक, मैथी, लाल भाजी, बथुआ, गोभी, पत्ता गोभी जैसी सब्जियां खाना अच्छा नहीं माना जाता। धार्मिक कारणों से भी यह शुभ नहीं है और सेहत को भी नुकसान पहुंचाती है। इस मौसम में इनमें बैक्टीरिया और कीड़ों की संख्या बढ़ जाती है।
“ व्रत का अर्थ पूर्णत: भूखा रहकर शरीर को कमजोर करना नहीं है, बल्कि खाने की मात्रा को कुछ कम करके शरीर को कुछ समय के लिए आराम देना है। उसमें से जहरीले तत्वों को बाहर करना होता है।
“ व्रत रखने के दौरान फैट बर्निंग प्रॉसेस तेज हो जाती है। जिससे चर्बी तेजी से गलना शुरू हो जाती है और यदि आप व्रत नहीं रखते हैं तो चर्बी बढ़ती रहती है और आपकी हड्डियों पर इससे बोझ बढ़ता है। इस कारण हमारी मानसिक क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है।
“ व्रत रखने से आपके मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। शरीर स्वस्थ होता है। शरीर के स्वस्थ होने से मन और मस्तिष्क भी स्वस्थ होते हैं।