UPI: पिछले कुछ सालों में Unified Payments Interface यानी UPI ने हमारे पेमेंट करने के तरीके में बड़ा बदलाव किया है, आज लोग जेब में कैश लेकर चलना लगभग भूल गए हैं। इसने हमारे खर्च करने के पैटर्न को एकदम बदल दिया है लेकिन यूपीआई पेमेंट का दायरा बढ़ने के दो अलग-अलग पहलू सामने आए हैं। एक ओर जहां इसका इस्तेमाल लोगों का खर्च बढ़ाने वाला साबित हो रहा है, तो वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी है, जो UPI Payment के जरिए बचत करने में कामयाब हो रहा है। आईआईटी दिल्ली के एक सर्वे में ये तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई है।
देश दुनिया में यूपीआई यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में आईआईटी दिल्ली ने UPI Payment के फायदे और नुकसान को लेकर एक बड़ा सर्वे किया है। इसमें ये बात सामने आई है कि यूपीआई हमें जरूरत से ज्यादा खर्च करा रहा है। रिसर्च में शामिल 276 लोगों में से ऐसे लोगों की तादाद 74% रही, जिनका मानना है कि वो यूपीआई के वजह से ज्यादा खर्च कर रहे हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि आज किसी दुकान पर चाय पीना हो, नारियल पानी खरीदना हो, Restaurant में खाना खाना हो या फिर घर के लिए किराने का सामान खरीदना हो, हर ओर यूपीआई पेमेंट की सुविधा आसानी से मिल जाती है। ऐसे में लोग कैश लेकर चलने को बिल्कुल भी अहमियत नहीं दे रहे हैं और यही खर्च में बढ़ोतरी की बड़ी वजह निकलकर सामने आई है।
क्या आपका भी UPI आने से खर्च बढ़ा हैं?
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि कैश जेब में लेकर जब हम बाजार में खरीदारी करते हैं, तो कैश जो हमारे पास होता है वो हमें इसके लिए सचेत करती है कि हम कितना खर्च कर रहे हैं। लोगों ने कहा कि हाथ में नकदी होने से, ये लगातार याद रहता है कि मुझे खर्च को लेकर कितना सतर्क रहना चाहिए लोकिन यूपीआई के चलन से आराम बढ़ गया है, लोगो का कहना है कि पहले जेब में भरा हुआ बटुआ एक आराम था लोकिन अब बटुआ ही बैंक अकाउंट हो गया है और खास बात ये कि इसमें हमेशा स्टॉक रहता है, मतलब आराम कभी खत्म नहीं होता है।
उनका कहना है कि UPI पर 2500 का भुगतान करने की तुलना में अगर हम 500 500 के नोटों का कैश पेमेंट करते है तो हमें ज्यादा सोचना पड़ता हैं कि ज्यादा इस्तेमाल का एक ये भी कारण है कि यूपीआई से पहले लोग क्रेडिट कार्ड जैसी प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल कई सालों से करते आ रहे हैं, लेकिन UPI इन Credit Cards से अलग है, क्योंकि एक तो इसमें कोई ब्याज नहीं लिया जाता है। इसके अलावा यूपीआई की पहुंच क्रेडिट कार्ड की तुलना में कहीं ज्यादा हो चुकी है। मोबाइल-टू-बैंक ट्रांसफर ने पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीन की जरूरत को भी लगभग खत्म कर दिया है, जिसके जरिए आप क्रेडिट-या डेबिट कार्ड के जरिए पेमेंट कर सकते हैं।
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बता दें कि IIT दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर ध्रुव कुमार और छात्रों हर्षल देव और राज गुप्ता ने यूपीआई के जरिए लोगों के खर्च करने की आदतों में बदलाव की हकीकत जानने के लिए यह सर्वे किया। उन्होंने Google Form का इस्तेमाल करते हुए 18 साल और उससे ज्यादा उम्र के 276 लोगों को इसमें शामिल किया, जो कि अलग-अलग उम्र के और कई बिजनेस सेक्टर से थे। अपनी सर्वे रिपोर्ट में प्रोफेसर ध्रुव कुमार ने में बताया कि 74.2 फीसदी लोगों ने UPI को अपनाने के बाद बढ़े हुए खर्च की बात को माना.. इस बीच 91.5% लोग यूपीआई से संतुष्ट दिखे, तो वहीं 95.2% ने पेमेंट के लिए यूपीआई को सबसे ज्यादा सुविधाजनक बताया।
हालांकि, इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि 2016 में लॉन्च यूपीआई के बढ़ते हुए इस्तेमाल ने एक वर्ग को बचत करने में भी मदद की है। रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे यूपीआई ट्रांसफर से नकदी लोगों के बैंकों तक पहुंच रही है, भारतीयों का एक वर्ग बचत कर रहा है। इनमें ठेले पर नारियल पानी या चाय बेचने वालों से लेकर लोकल दुकानदार आते हैं, जिनका 90% तक पैसा अब यूपीआई के जरिए सीधे बैंक खातों में पहुंच रहा है।
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