The Revival of Traditional Sports: भारत में खो-खो और कबड्डी का विकास 24/7

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The Revival: भारत में खेलों की लंबी और गौरवमयी परंपरा रही है, जिसमें खो-खो और कबड्डी जैसे खेल सदियों से हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा रहे हैं। हालांकि, आधुनिक खेलों का प्रचलन बढ़ने के साथ इन पारंपरिक खेलों को नजरअंदाज किया गया था। लेकिन आज के दौर में इन खेलों का पुनरुद्धार हो रहा है, और भारत में खो-खो और कबड्डी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। इस लेख में हम इन खेलों के पुनरुद्धार और उनके विकास के बारे में चर्चा करेंगे।

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खो-खो: खेल की समृद्ध परंपरा

The Revival: खो-खो भारत का एक पुराना और लोकप्रिय खेल है, जो बच्चों से लेकर वयस्कों तक हर उम्र के लोगों द्वारा खेला जाता है। इस खेल में दो टीमें होती हैं, और हर टीम का उद्देश्य विरोधी टीम के खिलाड़ियों को छूकर बाहर करना होता है। खो-खो की शुरुआत महाराष्ट्र से मानी जाती है, लेकिन यह पूरे भारत में लोकप्रिय हो गया है।

The Revival: हालांकि, खो-खो को 20वीं शताबदी के बाद कुछ समय के लिए उपेक्षित किया गया था, लेकिन अब यह खेल फिर से सुर्खियों में है। भारतीय खो-खो लीग (IKL) के गठन के बाद से इस खेल को एक नया जीवन मिला है। इसमें पेशेवर खिलाड़ी शामिल होते हैं, और लीग के माध्यम से खो-खो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। खो-खो के विकास के लिए स्कूलों और कॉलेजों में इसके खेल को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे युवा पीढ़ी में इस खेल के प्रति रुचि बढ़ी है।

कबड्डी: भारतीय खेलों का गौरव

The Revival: कबड्डी भारत का एक और पारंपरिक खेल है, जो विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में बहुत लोकप्रिय है। इस खेल में एक खिलाड़ी को “कबड्डी” का मंत्र उच्चारण करते हुए विरोधी टीम के क्षेत्र में जाकर उन्हें टैग करना होता है। कबड्डी की रफ्तार और संघर्ष ने इसे एक रोमांचक खेल बना दिया है।

The Revival: हालांकि कबड्डी को हमेशा एक ग्रामीण खेल के रूप में देखा जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा विकास हुआ है। प्रो कबड्डी लीग (PKL) के शुरू होने के बाद से कबड्डी को एक पेशेवर खेल के रूप में पहचान मिली है। PKL ने कबड्डी को भारतीय दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया और इसे दुनिया भर में एक नया दर्शक वर्ग दिया। अब, कबड्डी विश्व कप और एशियाई खेलों जैसी प्रमुख प्रतियोगिताओं में भी भारत की भागीदारी बढ़ी है।

पारंपरिक खेलों का भविष्य

The Revival: भारत में खो-खो और कबड्डी जैसे पारंपरिक खेलों का भविष्य बहुत उज्जवल दिखाई देता है। सरकार और खेल संघ इन खेलों के विकास के लिए नए प्रयास कर रहे हैं। खो-खो और कबड्डी को मुख्यधारा के खेलों में शामिल करने के लिए सरकार ने स्कूल और कॉलेजों में इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बनाई हैं। इसके अलावा, इन खेलों के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए न केवल शारीरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, बल्कि डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी इन खेलों को प्रसारित किया जा रहा है, जिससे युवा पीढ़ी इन खेलों के प्रति आकर्षित हो रही है।

निष्कर्ष

The Revival: भारत में पारंपरिक खेलों का पुनरुद्धार देश की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने और इन खेलों को भविष्य में और भी सशक्त बनाने का एक बेहतरीन कदम है। खो-खो और कबड्डी जैसे खेलों ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। इन खेलों के विकास से भारतीय खेलों का दायरा बढ़ेगा और युवा पीढ़ी को एक नई दिशा मिलेगी। इन खेलों का समर्थन और प्रचार हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को सम्मानित करने का एक अवसर प्रदान करता है, जो भारतीय खेलों के क्षेत्र में एक नई लहर लाएगा।

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