Supreme Court judgement: Supreme Court ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने का प्रस्ताव रखा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अधिकारी इसका फायदा न उठा सकें। Solicitor-General ने बुलडोजर एक्शन के आरोपों के खिलाफ यूपी सरकार का बचाव किया ।
“किसी के घर को सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह किसी मामले में आरोपी है? कानून इसकी अनुमति नहीं देता… क्या ऐसा तब भी हो सकता है जब कोई व्यक्ति दोषी हो?” न्यायमूर्ति K.V. Vishwanathan के साथ पीठ का नेतृत्व कर रहे Justice B.R. Gavai ने पूछा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और वरिष्ठ अधिवक्ता सी.यू. सिंह ने अदालत से यह बयान देने का आग्रह किया कि “देश में कहीं भी बुलडोजर से न्याय नहीं किया जाएगा”।
Supreme Court judgement: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर गंभीर टिप्पणी की है।
दोषियों के घरों बुलडोजर एक्शन मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बुलडोजर एक्शन गंभीर और चिंताजनक है। कुछ राज्यों में जिस प्रकार से कार्रवाई हो रही है, वह नियमों का उल्लंघन है। हम इसको लेकर सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी करेंगे। जस्टिस वीआर गवई और केवी विश्वनाथ की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए इस प्रकार का आदेश जारी किया गया।
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Supreme Court judgement: यूपी में बुलडोजर एक्शन की सराहना की है
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का असर उत्तर प्रदेश पर कितना पड़ेगा, यह सवाल उठने लगा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने यूपी में चलने वाले बुलडोजर एक्शन की सराहना की है। दरअसल, यूपी में होने वाली कार्रवाई को नियम-कानून के तहत ही पूरा कराया जाता है। ऐसे में प्रदेश में बुलडोजर एक्शन पर रोक नहीं लगेगी, यह तय माना जा रहा है। वैसे सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। गाइडलाइन आने के बाद सरकार के स्तर पर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लग सकती है।
Supreme Court judgement: सुप्रीम कोर्ट ने क्या की टिप्पणी?
बुलडोजर पर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यूपी में चलने वाले बुलडोजर अभियानों का भी जिक्र किया। कोर्ट ने यूपी सरकार की ओर से चल रहे Demolition अभियान को लेकर पेश किए गए affidavit की सराहना की। कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के विशेष सचिव की ओर से दाखिल किए गए शपथ पत्र की हम सराहना करते हैं।
दरअसल, यूपी सरकार की ओर से गृह विभाग के विशेष सचिव राकेश कुमार ने Supreme Court में शपथ पत्र दाखिल किया था। affidavit में सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में जो भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो रही है, वह कानून के दायरे में और नियमों का पालन करते हुए की गई है।
शपथ पत्र में एक-एक घटना में विपक्ष के नेताओं की ओर से लगाए गए आरोपों का सिलसिलेवार तरीके से खंडन किया गया। affidavit में बताया गया कि किस तरह सरकार ने सभी घटनाओं में नियमों का पालन किया। इसमें बताया गया है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई यूपी आवास एवं शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा 27(1) के तहत की गई है।
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Supreme Court judgement:माफियाओं के खिलाफ हुई है कार्रवाई
यूपी में माफियाओं के खिलाफ लगातार एक्शन हुआ है। मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद के ठिकानों पर छापे मारे गए। यूपी पुलिस ने संगठित अपराध को खत्म करने के लिए गैंगों की कमर तोड़ी। इसके बाद माफियाओं की बेनामी संपत्ति पर एक्शन हुआ है। लखनऊ से लेकर प्रयागराज, मऊ, देवरिया तक माफिया डॉन की संपत्ति पर बुलडोजर कार्रवाई हुई है। इसके अलावा महिला अपराध के मामलों में आरोपियों के खिलाफ भी बुलडोजर एक्शन हुआ है। सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोपियों से लेकर परीक्षा माफियाओं के खिलाफ भी बुलडोजर कार्रवाई होती रही है।
प्रशासनिक स्तर पर बुलडोजर एक्शन को लेकर बड़ी तस्वीर सामने आई है। जिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हुई, उस पर पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया। जिलों के विकास प्राधिकरणों के स्तर पर आरोपियों की संपत्ति की जांच होती है। अगर अतिक्रमण या नक्शा पास कराने में गड़बड़ी की समस्या आती है तो फिर बुलडोजर एक्शन होता है। ऐसे में साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर यूपी पर कम ही दिखेगा।
Supreme Court judgement:न्यायालय ने दिशा-निर्देश निर्धारित करने के लिए मामले को 17 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया
यहां तक कि सरकार भी आरोपी व्यक्तियों या उनके परिवारों के घरों और संपत्तियों के प्रतिशोधात्मक विध्वंस के खिलाफ थी। हालांकि, उन्होंने अदालत से याचिकाकर्ताओं की कहानी के विकल्प पर विचार करने का आग्रह किया। श्री मेहता ने पूछा कि क्या होगा यदि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप है और उसे पहले से ही अधिकारियों की ओर से नोटिस मिल चुका है, जिसमें उसे चेतावनी दी गई है कि उसके अवैध ढांचे को ध्वस्त किया जाना तय है। उन्होंने कहा, “कई मामलों में प्राप्त तथ्यों के अनुसार, इन व्यक्तियों को नोटिस भेजे गए थे। बाद में वे अपराध में आरोपी पाए गए।”
न्यायालय ने दिशा-निर्देश निर्धारित करने के लिए मामले को 17 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया। इसने याचिकाकर्ताओं से सुझाव देने को कहा। याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में ध्वस्तीकरण के मामलों को उजागर किया था।
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