क्यों पड़ोसी देश Bangladesh में छात्र सड़को पर उतर आए है?

Share this article
Students took to the streets in Bangladesh

Bangladesh में सरकारी नौकरियों में आरक्षण में सुधार को लेकर लगातार आंदोलन हो रहे हैं। आलम ये है ढाका की सड़कों पर हजारों छात्र उतर आए और योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे है। वहीं आंदोलन हिंसक न हो जाए, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल महीने भर के लिए देश में आरक्षण पर रोक लगा दी है।

 Bangladesh में छात्र सड़को पर उतर आए क्या है पूरा मामला ?

रिजर्वेशन पर तलवारें हमारे देश ही नहीं, पड़ोसी मुल्कों में भी खिंच रहती है। बांग्लादेश इसका ताजा उदाहरण है। दरअसल, यहां सरकारी जॉब में एक तिहाई पद उन लोगों के लिए है, जिनके पुरखों ने साल 1971 में हुए आजादी के आंदोलन में भाग लिया था। लेकिन इसके बाद पुराने कोटा सिस्टम में कई बदलाव किए गए।

Bangladesh में सबसे ज्यादा आरक्षण सिविल सर्विस  

सबसे ज्यादा आरक्षण सिविल सर्विस में बैठने वालों के लिए मिला। साल 1972 में यानी आजाद मुल्क बनने के तुरंत बाद वहां की सरकार ने बांग्लादेश सिविल सर्विस की शुरुआत की। शुरुआत में इसकी 30 फीसदी नौकरियां फ्रीडम फाइटर्स के परिवार के लिए थी। 10 प्रतिशत.. उन महिलाओं के लिए थी, जिनपर आजादी की लड़ाई में असर पड़ा था। वहीं, 40 फीसदी अलग-अलग जिलों के लिए आरक्षित था। अब बाकी रहा 20 प्रतिशत। तो इतनी ही सीटें मेरिट वालों के लिए थीं।

Also Read: Donald Trump की रैली में गोलियां चली। एक व्यक्ति की मौत, 2 लोग गंभीर रूप से घायल !

Bangladesh में 45 प्रतिशत जगह मेरिट के लिए बन गई

इस बीच.. तब से लेकर अजादी के बाद तक इसमें कई बदलाव होते रहे। मसलन, प्रभावित औरतों के लिए कोटा में बहुत कम ही महिलाएं आ रही थीं, ऐसे में 10 फीसदी को हर तरह की महिलाओं के लिए रिजर्व कर दिया गया। जिलों का कोटा घटाकर 10 प्रतिशत, जबकि आजादी की लड़ाई में शामिल होने वालों या उनके बच्चों के लिए आरक्षण उतना ही रहा, मतलब 30 फीसदी। अब 45 प्रतिशत जगह मेरिट के लिए बन गई।

अब इसके बाद आता है साल 2012… सरकार ने 1 प्रतिशत सीट दिव्यांगों के लिए रिजर्व कर दी। और इस तरह अब ऊंची नौकरी के लिए 56 फीसदी जगहें आरक्षण के नाम चली गईं, जबकि मेरिट वालों के पास 44 फीसदी ही गुंजाइश रही। ये फैर बदल यहीं नहीं थमा कुछ सालों में इसमें फिर बदलाव हुआ।

Bangladesh में प्रधानमंत्री शेख हसीना पर लगे आरोप

अब लोगों में इन बार-बार हो रहे बदलावों को लेकर गुस्सा भड़क गए। लोगों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना पर आरोप लगाए कि वो फेवरेटिज्म खेल खेल रही हैं। उनके बारे में कहा जाने लगा कि वे जानबूझकर आजादी में हिस्सा ले चुके परिवारों के बच्चों के लिए 30 प्रतिशत सीटें रखे हुए हैं।

Also Read: Space Zone: Steven Lee Smith का कहना भारत पिछले 20 वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में बहुत सफल रहा है।

इसके बाद हंगामा होते देख आखिरकार साल 2018 में शेख हसीना सरकार ने काफी बड़ा फैसला लेते हुए अप्रैल में सरकारी जॉब्स में आरक्षण खत्म करने का एलान कर दिया। लेकिन ये मामला यही नहीं थमा, इसके 6 साल बाद आजादी के लिए लड़नेवालों के परिवारों ने सरकार के फैसले को गलत बताते हुए कोर्ट में याचिका डाल दी।

जिस पर इसी साल जून में फैसला लेते हुए अदालत ने माना कि रिजर्वेशन हटाना गलत था और ये दोबारा शुरू किया जाए। अब ये फैसला जैसा ही आया। तो लोगों ने एक बार फिर प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया। फिलहाल हंगामें को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महीनेभर के लिए रिजर्वेशन सिस्टम को होल्ड पर डाल दिया है। इस दौरान सुनवाई और फैसला कभी भी सुनाया जा सकता है।

Subscribe Our Channel: https://youtube.com/@vup_samachar?si=7fU727DBfBSVisVB

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *