Bihar Government: Supreme Court ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्य सरकार को तगड़ा झटका देते हुए नौ साल पहले तांती-तंतवा जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने के फैसले को निरस्त कर दिया है। इस मामले में कोर्ट का कहना था कि जो अधिकार बिहार सरकार के पास नहीं था उस पर राज्य सरकार ने खुद फैसला लिया था। अब सवाल ये है कि आखिर किस मामले में बिहार सरकार ने वो फैसला लिया है जो उनके हाथ में नहीं था।
Bihar Government ने तांती-ततवा जाति को SC में शामिल कर दिया
बिहार सरकार ने 1 जुलाई 2015 में एक संकल्प पत्र जारी किया था जिसमें बिहार सरकार ने तांती-ततवा जाति को SC यानी अनुसूचित जाति में शामिल कर दिया था लेकिन इस जाति को SC (Scheduled Castes) में शामिल करने का अधिकार बिहार सरकार के पास नहीं था और बिहार सरकार भी यह अच्छी तरह जानती थी कि उसके पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है।
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Bihar Government ने EBC से निकालकर SC में शामिल कर दिया
आपको बता दे कि ये काम सिर्फ संसद कर सकती है तब राज्य सरकार ने 2011 में ऐसा करने का अनुरोध केंद्र सरकार को भेजा था। जिसे स्वीकार नहीं किया गया लेकिन इस बात को नजर अंदाज करते हुए राज्य सरकार ने 1 जुलाई 2015 का सर्कुलर जारी कर दिया और तांती-तंतवा जाति के लोगों को Economically Backword Classes (EBC) से निकालकर SC में शामिल कर दिया था।
Bihar Government ने आखिर क्यों तांती-तंतवा जाति को SC में शामिल किया था ?
राज्य सरकार की ओर से मुंगेरी लाल आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि तांती-तंतवा वास्तव में पान जाति से संबंध रखते हैं और पान जाति SC में आती है इस लिए तांती तंतवा भी SC में ही आते है उन्होंने तांती-तंतवा को अत्यंत पिछड़ा वर्ग से हटा कर अनुसूचित जाति शामिल करने के निर्णय को सही बताया लेकिन अब इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है।
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Bihar Government को Supreme Court को बड़ा झटका
जिसमें बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा हैं कोर्ट ने 2015 के राज्य सरकार के संकल्प पत्र को रद्द करते हुए आदेश दिया कि इन नौ सालों में तांती-तंतवा जाति के जिन लोगों को भी SC कोटे के आरक्षण का लाभ मिला है उन्हें EBC कोटे में मिला दिया जाए और इससे खाली होने वाली सीटों और पदों को SC जाति के लोगों से भरा जाए ।
डॉ भीमराव आंबेडकर विचार मंच और आशीष रजक की याचिका पर जस्टिस विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने नीतीश सरकार के फैसले को संविधान से शरारत बताते हुए अवैध करार दिया और कहा कि SC लिस्ट में दूसरी जाति को जोड़ने से अनुसूचित जाति के लोगों की हकमारी होती है।
कोर्ट ने साफ कहा कि संविधान के article 341 के तहत राज्य को अनुसूचित जाति की सूची में छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है।
आपको बता दे कि SC में शामिल करने से तांती ततवा जाति को SC प्रमाण पत्र जारी किया जाने लगा था जिसके आधार पर ये सरकारी नौकरी हासिल कर इसका लाभ उठाने लगे थे। लेकिन अब इन्हें अपने पद वापस करने होंगे ।
क्या हैं article 341 ?
अनुच्छेद 341 का खंड (1) आदेश देता है कि राष्ट्रपति, राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद, सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा जातियों, नस्लों या जनजातियों या जातियों, नस्लों या जनजातियों के कुछ हिस्सों या समूहों को निर्दिष्ट कर सकते हैं जो इस संविधान के प्रयोजनों के लिए होंगे। किसी राज्य के संबंध में अनुसूचित जातियां मानी जाती हैं…
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