School:आज कल शिक्षा देने वाले “स्कूल” व्यापार का एक नया तरीका बन गए हैं। स्कूल में पढ़ाई कम, annual function के लिए हज़ारो पैसे parents से लिए जाते हैं। आपको स्कूल से ही सब कुछ लेना है, आपको स्कूल से ही किताबें, यूनिफॉर्म ,बेल्ट ,जूते लेने हैं। अब तो स्कूल वालो ने कोपिया, कवर, nameslip तक पर स्कूल का ब्रांड लगाना शुरू कर दिया हैं। ये सब लेना स्कूल से अनिवार्य हैं।
बाहर से सिर्फ एक ही चीज ली जा सकती है वो है शिक्षा। शिक्षा के लिए आप बाहर से कोचिंग ले सकते हैं। स्कूल जब चाहे तब parents से पैसे ले लेता है। लेकिन एक बात तो हैं हमारे निजी स्कूल बिना किसी नीति के जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान दे रहे हैं।
School:हर कोई अपने बच्चो को private school में पढ़ना चाहता हैं
वे एक छात्र की फीस इतनी अधिक कर देते हैं कि व्यक्ति दूसरे बच्चे के बारे में नहीं सोचता । हर कोई अपने बच्चो को private school में पढ़ना चाहता हैं। फीस के नाम पर चाहे लाखो देने पड़े। एक मिडिल क्लास का बच्चा जब इन हाई private school में जाता हैं। तो उसे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।
फीस टाइम से जमा न होने पर, क्लास में first आने वाले बच्चो को भी assembly prayer में खड़ा होना पड़ता हैं। कई बार उनकी क्लासेज भी मिस होती हैं। एग्जाम फीस टाइम से जमा न होने पर, बच्चो को परीक्षा में बैठने में भी रुका जाता हैं। और इससे बच्चा insult feel करता है और क्लासेज bunk करता हैं। क्योंकि बच्चे को पैसे के लिए अपने दोस्तों के सामने डांट पड़ती है।
School: क्या सरकारी स्कूल में सिर्फ गरीब बच्चे ही पढ़ते हैं?
गरीब बच्चों को किसी भी स्थिति में उसे सरकारी स्कूल में ही पढ़ना पड़ता है। इस योजना के तहत आप उन्हें प्राइवेट स्कूलों में भी 25 परसेंट का आरक्षण मिल सकेगा। सरकार के द्वारा जारी किया गया इस एक्ट के अनुसार 6 से 14 वर्ष के आयु को बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य कर दिया गया है।देखिए हममें से कई लोग मानते हैं कि सरकारी स्कूल सिर्फ समाज सेवा के लिए खुले हैं। वहां सिर्फ गरीब छात्र ही पढ़ते हैं।
School: प्राइवेट स्कूल बहुत सी सुविधाएं दे रहे हैं
आज कल प्राइवेट स्कूल बहुत सी सुविधाएं दे रहे हैं स्विमिंग पूल, स्मार्ट क्लास, छात्रों के लिए अच्छा माहौल। तो वे निश्चित रूप से लाभ कमाएंगे। देखिए चाहे वह प्राइवेट स्कूल हो या सरकारी स्कूल भारतीय कानून के अनुसार, स्कूल चलाना एक सामाजिक सेवा है इससे कोई भी अपने लिए लाभ नहीं कमा सकता। भले ही प्राइवेट स्कूल बहुत अच्छी सुविधाएं देते हों। स्कूल से मिलने वाला पैसा सिर्फ़ स्कूलों में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
Schools: शिक्षकों का शोषण क्यों करते हैं? वे हर बार फ़ीस क्यों बढ़ाते हैं? वे ड्रेस और किताबों के नाम पर parents को क्यों लूटते हैं?
अगर आप RTE (Right of Children to free and compulsory education )ACT 2009 के अनुसार भारत में प्राइवेट स्कूल खोलना चाहते हैं तो आपको या तो नॉन प्रॉफ़िट सोसाइटी बनानी होगी या ट्रस्ट बनाना होगा या कंपनी अधिनियम, 2013 सेक्शन-8 के अनुसार कोई नॉन प्रॉफ़िट इकाई बनानी होगी। कुल मिलाकर बात यह है कि स्कूल सिर्फ़ non profit organization के तौर पर ही चलाए जा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आज मैंने कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना ली है, शिक्षकों को काम पर रखा है और एडमिशन का काम शुरू कर दिया है।
स्कूल में छात्रों को उनकी इच्छा के अनुसार अलग-अलग उत्पाद बेचे जाते हैं और अभिभावकों की कमाई को अपनी जेब में ले लिया जाता है। इन सभी चीजों के लिए निजी स्कूल सबसे अच्छा विकल्प बन गए हैं।
यही कारण है कि निजी स्कूल नेताओं, माफियाओं, भ्रष्ट व्यापारियों की पहली पसंद बन गए हैं। और हमारे ज्ञान के मंदिर उन लोगों के हाथों में चले गए हैं, जिनके पास उद्योग, राजनीति और कुछ मामलों में हथियार भी हैं।
Schools: कुछ निजी स्कूल हैं जो अपना काम बहुत अच्छे से कर रहे हैं
हालांकि कुछ निजी स्कूल हैं जो अपना काम बहुत अच्छे से कर रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है। अगर आप ध्यान से देखें तो सांसद और विधायक किसी न किसी शैक्षणिक ट्रस्ट के ट्रस्टी बन रहे हैं और करोड़ों का फंड मुहैया करा रहे हैं। टैक्स की चोरी, काले से सफेद बनाना ये सब करके वे खूब पैसा कमाते हैं,
शिक्षा के लिए भारतीय कानून हर कदम पर समझाता है कि अगर आप व्यवसाय करना चाहते हैं तो स्कूलों में न करें। बाजार में पैसा बनाने के कई तरीके हैं। देश का भविष्य स्कूलों से जुड़ा है। इससे दूर रहें। यही कारण है कि निजी स्कूल चलाने के लिए बहुत सख्त नियम रखे गए हैं।
लेकिन आप किसी भी प्राइवेट स्कूल में जाकर देख सकते हैं कि ये नियम सिर्फ़ कागज़ों पर हैं अगर इन नियमों का पालन किया गया है तो आज की तारीख़ में एक मध्यम वर्गीय अभिभावक को प्राइवेट स्कूलों के झांसे में नहीं आना पड़ेगा।
हर कोई सरकारी टीचर तो बनाना चाहता हैं लेकिन अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में भेजना नहीं चाहता।
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