Jammu-Kashmir Election: जम्मू एवं कश्मीर में आर्टिकल-370 हटने के बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास होने वाले है। प्रदेश में चुनावों की तारीखों का ऐलान भी कर दिया गया है। जिसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाएंगे।
आखिरी बार जब 2014 में यहां विधानसभा चुनाव हुए थे, तब से लेकर अब तक काफी कुछ चीजें बदल गई हैं। सीटों की संख्या भी पहले से थोड़ी बढ़ गई है। जहां पहले चुनी हुई सरकार ही सबकुछ होती थी, वहीं अब ज्यादातर शक्तियां उपराज्यपाल के पास होंगी।
Jammu-Kashmir Election: 10 साल बाद होने जा रहे इस चुनाव से देश के सियासी समीकरण कितने बदल सकते हैं?
5 अगस्त 2019, ये वहीं तारीख है जब जम्मू-कश्मीर काफी बदल गया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर दो हिस्सों में बंट गया। पहला- जम्मू-कश्मीर और दूसरा- लद्दाख. दोनों ही अब केंद्र शासित प्रदेश हैं। जिसको लेकर वहां के क्षेत्रीय दल विधानसभा चुनाव कराये जाने से पहले वहां राज्य का दर्जा बहाल किये जाने की मांग करते रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार चुनाव कराने के बाद राज्य का दर्जा बहाल करने के पक्ष में रही है।
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Jammu-Kashmir Election: 370 हटाने के बाद…
यही वजह है कि पुरानी व्यवस्था में मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता इस विधानसभा चुनाव में पूरी तरह दूरी बनाने की तरफ इशारा कर रहे हैं। अब एक तरफ तो जहां घाटी के पूराने नेता चुनाव से दूरी बना रहे है वहीं 370 हटाने के बाद घाटी में कई छोटी-छोटी पार्टीयां भी उभर कर आई है।
सज्जाद लोन की ‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस’ और अल्ताफ बुखारी की ‘जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी’ ऐसी ही कुछ उभरती पार्टियां है जो घाटी में अपनी पकड़ मजबूत बना रही है। और इसीलिए ही बीजेपी बाकी पार्टियों का वोट काटने और सरकार बनाने के लिए इन पार्टियों का पूरजोर समर्थन कर रही है।
Jammu-Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार किसकी?
अब अगर हम भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद बीजेपी हर मंच से लगातार ज़ोर देकर कहती रही है कि जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार उन्हीं की होगी। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने से वहां के लोगो में काफी नराजगी है।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कश्मीर में चुनाव न लड़ना इसी नाराजगी से जोड़कर देखा गया था। क्योंकी जिस कश्मीर से 370 हटाने के फैसले का बीजेपी ने देशभर में प्रचार किया और इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया, उसी कश्मीर से वो चुनावी मैदान से बाहर रही. कारण , लोगों की नराजगी।
Jammu-Kashmir Election: विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए परीक्षा से कम नहीं
ऐसे में अब विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए परीक्षा से कम नहीं होंगे। हलांकि बीजेपी इस बार अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ जा रही है, भाजपा को लगता है कि लोगों की नराजगी के बावजूद वो ये चुनाव अकेले जीत पाएगी… लेकिन अगर बीजेपी ये चुनाव हारती है तो क्या जम्मू-कश्मीर में भी दिल्ली जैसे हलात हो सकते है। ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकी विधानसभा से पहले जिस तरह से चीजों में फेरबदल किए गए वो कही न कही बीजेपी के हाथ में ताकत देने की ओर इशारा कर रहे है।
Jammu-Kashmir Election: सरकार किसी की भी बने शक्तियां बीजेपी के पास
यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर के तमाम नेता विधानसभा चुनाव से दूरी बना रहे है। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का कहना है कि उपराज्यपाल को इतनी ज्यादा शक्तियां दी गई है कि सरकार किसी की भी बने शक्तियां बीजेपी के पास ही रहेंगी।
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Jammu-Kashmir Election: क्या, बीजेपी हर तरीके से अपनी पकड़ पूरे देश में बनाना चाहती है
इसलिए ही जहां बीजेपी सरकार नहीं बनती है वहां वो उपराज्यपाल को शक्तियां देकर अपने हाथ में ही Power रखना चाहती है। दिल्ली इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बेशक देश की राजधानी में वहां की चुनी हुई सरकार क्यों न हो लेकिन सारी शक्तियां LG के हाथों में है जिसका दिल्ली की सरकार हमेशा से विरोध करती आई है।
तो क्या जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी यही रणनीति अपना रही है…? क्योंकी अगर देखा जाए तो जम्मू-कश्मीर में कोई भी पार्टी जीते लेकिन शक्तियां बीजेपी के हाथों में ही रहने वाली है।
खैर परिणाम कुछ भी हो विधानसभा चुनाव से ये जरूर तय हो जाएगा कि जम्मू-कश्मीर का भविष्य केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर कैसा होगा। एक दशक के राजनीतिक बदलाव के बाद, जम्मू और कश्मीर की जनता अपनी विधानसभा का चुनाव करेगी, और इसके नतीजे ये बताएंगे कि यहां के लोग अपनी नई सरकार और नई शासन व्यवस्था को कैसे देखते हैं।
फिलहाल 28 सितंबर को जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के मतदान होने वाले है इससे पहले वहां का राजनीतिक समीकरण और कितना बदलता है ये देखना होगा। फिलहाल के लिए इस स्टोरी में इतना ही।
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