New Criminal Laws: पहली जुलाई से काफी कुछ बदल गया हैं। खासकर क्रिमिनल जस्टिस में आज से 1860 में बनी IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी CRPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के Indian Evidence Act की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ले लेगी….
इन तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद कई सारे नियम-कायदे बदल जाएंगे । इनमें कई नई दफा यानी धाराएं शामिल की गई हैं, कुछ धाराओ में बदलाव हुआ है, तो कुछ हटाई गई हैं । ऐसे में नए कानून लागू होने पर आम आदमी, पुलिस, वकील और अदालतों के कामकाज में क्या कुछ बदलाव आएंगे।
New Criminal Laws: सबसे पहले बात भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए बदलाव
CRPC में जहां कुल 484 धाराएं थीं वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। इसमें ऑडियो-विडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जुटाए जाने वाले सबूतों को प्रमुखता दी गई है। वहीं, नए कानून में किसी भी अपराध के लिए जेल में अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉण्ड पर रिहा करने का प्रावधान है।
अब कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा और FIR होने के 15 दिनों के अंदर उसे Original Jurisdiction यानी… जहां का मामला है वहां भेजना होगा। इसके अलावा पुलिस ऑफिसर या सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 120 दिन में संबंधित अथॉरिटी से इजाजत मिलेगी। अगर नहीं मिली तो उसे ही सेंक्शन मान लिया जाएगा।
New Criminal Laws: FIR के 90 दिन के अंदर चार्जशिट दाखिल
इसके बाद FIR के 90 दिन के अंदर चार्जशिट दाखिल करनी होगी। चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे। इसके बाद मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिनों के अंदर जजमेंट देना होगा। जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी। इसके बाद पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा साथ ही ऑफलाइन-ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी ।
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New Criminal Laws: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 417 में बताया गया
इसके लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 417 में बताया गया है कि किन मामलों में सजा मिलने पर ऊपरी अदालत में उसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। ऐसे मामलों में अगर हाईकोर्ट से किसी दोषी को 3 महीने या उससे कम की जेल या 3 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा मिलती है, तो इसे ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। बता दें कि इससे पहले ipc में धारा 376 थी, जिसके तहत 6 महीने से कम की सजा को चुनौती नहीं दे सकते थे। यानी की, नए कानून में थोड़ी राहत दी गई है।
वहीं अब तक कुल 167 धाराएं Indian evidence act में थीं, लेकिन अब नए कानून में 6 धाराओं को निरस्त किया गया है। इसमें 2 नई धाराएं और 6 उप-धाराओं को जोड़ा गया है। गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है। तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह ही कोर्ट में मान्य होंगे। इसमें ईमेल, सर्वर लॉग, स्मार्टफोन और वॉइस मेल जैसे रिकॉर्ड भी शामिल किए गए हैं।
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New Criminal Laws: महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय
इसके साथ ही इन नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, जिसके तहत किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है।
यही नही… BNS में नाबालिगों से दुष्कर्म में सख्त सजा कर दी गई है। अब 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इस सजा को आजीवन कारावास तक भी बढ़ाया जा सकता है।
बीएनएस की धारा पैंसठ में ही प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म का दोषी पाया जाता है तो उसे 20 साल की जेल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इसमें भी उम्रकैद की सजा तब तक रहेगी, जब तक दोषी जिंदा रहेगा। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मौत की सजा का प्रावधान भी है. इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
नए कानूनों के आने से अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इसके पीछे तर्क ये है कि इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा साथ ही पुलिस द्वारा तुंरत कार्रवाई की जा सकेगी।
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