Motihari: बिहार के मोतिहारी जिले के एक सरकारी स्कूल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बच्चों को शराब का उदाहरण देकर हिंदी के मुहावरे सिखाए जा रहे थे। यह घटना उस समय प्रकाश में आई जब सोशल मीडिया पर इस स्कूल के ब्लैकबोर्ड की एक तस्वीर वायरल हो गई, जिसमें बच्चों को शराब से जुड़े उदाहरण देकर मुहावरे सिखाने की बात की जा रही थी। मामला इतना गंभीर हो गया कि जिला शिक्षा अधिकारी ने तुरंत संज्ञान लेते हुए संबंधित शिक्षिका से स्पष्टीकरण मांगा है।
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स्कूल में शराब से जुड़े उदाहरण
Motihari जिले के चर्चित ढाका प्रखंड के जमुआ के एक स्कूल में यह घटना घटी। इस स्कूल में चौथी कक्षा के बच्चों को शराब से जुड़े उदाहरणों के साथ हिंदी के मुहावरे सिखाए जा रहे थे। उदाहरण के तौर पर, “हाथ-पांव फूलना” का अर्थ समझाते हुए बच्चों को बताया गया कि इसका मतलब होता है “समय पर शराब का नहीं मिलना।” इसी प्रकार, “कलेजा ठंडा होना” का अर्थ दिया गया कि “पैग का गले के नीचे न उतरना” और “नेकी कर दरिया में डाल” का मतलब बताया गया कि “फ्री में दोस्तों को शराब पिलाना।”
प्रदेश में शराबबंदी के बावजूद ऐसा उदाहरण
Motihari: यह मामला इसलिए भी ज्यादा गंभीर हो जाता है क्योंकि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है। ऐसे में, स्कूल जैसे पवित्र स्थान पर बच्चों को शराब से जुड़े उदाहरण देकर पढ़ाना, न केवल शिक्षा प्रणाली की अवमानना करता है, बल्कि बच्चों के मासूम दिमाग पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर ने प्रदेश भर में इस घटना को लेकर आलोचना का माहौल पैदा कर दिया है।
विभाग ने मांगा स्पष्टीकरण
Motihari: मामला वायरल होते ही जिला शिक्षा अधिकारी संजीव कुमार ने तुरंत इस पर संज्ञान लिया। उन्होंने शराब का उदाहरण देकर पढ़ाने वाली शिक्षिका विनीता कुमारी से स्पष्टीकरण मांगा है। अखिलेश कुमार, जो ढाका प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी हैं, उन्होंने बताया कि घटना सही है और उन्होंने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है।
शिक्षिका की माफी और जांच का आदेश
Motihari: शिक्षिका विनीता कुमारी ने फोन पर अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगी है। इसके बावजूद, शिक्षा विभाग ने उनसे सभी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के साथ लिखित रूप से स्पष्टीकरण मांगा है। इस घटना के बाद स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुलेखा झा ने भी यह स्वीकार किया कि चौथी कक्षा के बच्चों को शराब का उदाहरण देकर पढ़ाया गया है।
समाज पर प्रभाव और शिक्षा का गिरता स्तर
Motihari: इस घटना ने न केवल शिक्षा विभाग को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि समाज में भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे समय में, जब सरकारें शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास कर रही हैं, इस प्रकार की घटनाएं उस दिशा में की जा रही प्रगति को पीछे ले जाती हैं। बच्चों को शराब जैसे नकारात्मक उदाहरणों से जोड़कर पढ़ाना, उनकी मानसिकता पर गहरा असर डाल सकता है।
शराबबंदी और शिक्षा के मानकों की गिरावट
Motihari: बिहार में शराबबंदी कानून के तहत शराब का सेवन और बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित है। ऐसे में, बच्चों को शराब का उदाहरण देकर पढ़ाना, न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह शिक्षा के मानकों की गिरावट को भी दर्शाता है। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों के भविष्य को संवारना है, लेकिन ऐसे नकारात्मक उदाहरण बच्चों को सही रास्ते से भटका सकते हैं।
निष्कर्ष
Motihari के इस स्कूल में घटी घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर शिक्षा के मंदिरों में क्या पढ़ाया जा रहा है। शराब का उदाहरण देकर बच्चों को मुहावरे सिखाना न केवल गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि यह शिक्षा की मूल भावना के खिलाफ है। इस घटना के बाद विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है, लेकिन इस घटना से यह साफ हो गया है कि शिक्षा के स्तर पर अभी भी सुधार की बहुत आवश्यकता है। उम्मीद है कि इस तरह की घटनाओं से सबक लेकर शिक्षा विभाग बच्चों को सकारात्मक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने की दिशा में ठोस कदम उठाएगा।
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