“माँ” इस शब्द की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम हैं। जिनसे बनता हैं हमारा हर दिन, उनका है ये आज का दिन। माँ जो अक्सर हमारे लिए अपनी खुशियों को रखती है पीछे, देखकर हमें उनके चेहरे पर आती है मुस्कान। बिना बताए जो समझ जाए हमारा हाल।
“सुबह का सूरज, रात की चाँदनी सी हैं वो “
“गुलाब सी लगती हैं, कांटो सी डांट उसकी”
Mother’s Day 2024 Special Poem:
वो अक्सर मेरी बेवजह फिक्र करती है…
उदास हम होते है और नींद उसकी खो जाया करती है…
उसकी गोद में एक सुकून सा है…
न जाने क्यों वो मुझे इतना समझ जाया करती है…
मेरे हर सपनो को वो अपना सपना बनाया करती है…
मुझे उड़ना भी सिखाती है …
और गिर कर संभलना भी …
सपनो की दुनिया से बाहर भी लाती है …
तो कभी सच से रूबरू भी कराती है ….
मेरी हर गलती पे…
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उसने कभी डांटा तो कभी प्यार से समझाया…
बचपन में सबसे ज्यादा मार भी मैंने खाई…
मैं अकसर कहती हूं….
मम्मा करते हो प्यार आप कम मुझे…
वो बस मुस्कुरा देती है…
सुबह की चाय से वो रात के खाने तक रखती ध्यान…
कभी खामोश रहूं मैं..
बिना बोले समझती वो हाल….
मैं लड़ सकूं खुद से…
उसने मुझे इस काबिल बनाया…
मैं हू तेरे साथ हर कदम पर…
लेकिन चलना तुझे खुद के साथ ही है…
गिरना-संभलना, पर रुकना कभी नहीं…..
वक्त में खोकर, वक्त से आगे निकलना तुझे खुद से हैं…
वो कहती हैं बेटा तू जिद्दी कमाल हैं….
हर ज़िद पूरी की मैने तेरी..
अब तुझे अपनी ज़िद पूरी करना खुद से ही हैं…
उसने दिया मेरा वक्त मुझे..
वो कहती हैं…
जी ले अपनी ज़िंदगी..
बस रुकना नहीं हर दिन कुछ नया सीखना…
सिर्फ़ बेटी ही नहीं…
परछाई हैं तू मेरी…
इस बात का रखना ध्यान…
ये दुनिया से लड़ते हजारों हैं…
तूझे लड़ना खुद के साथ हैं…..
एक जंग सी हैं जिंदगी…
तय करना तुझे खुद से हैं…
हारना हैं या जीतना…..
बस रुकना कभी नहीं…
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