Krishna Chhathi 2024: जाने कब हैं भगवान कृष्ण की छठी? और क्या लगाएं भोग? करें इस स्तोत्र का पाठ

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Krishna Chhathi 2024

Krishna Chhathi 2024: इस साल भगवान कृष्ण की छठी 01 सितंबर Krishna Chhathi 2024 को मनाई जाएगी। इस दौरान लोग कान्हा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही उन्हें तरह-तरह के भोग चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो लोग सच्चे भाव के साथ सभी पूजन नियमों का पालन करते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही परिवार में खुशहाली आती है।

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Krishna Chhathi 2024: अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है

हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, साल 2024 यानी इस बार जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को मनाया गया, जिसके 6 दिन बाद कान्हा की छठी होती है। भगवान कृष्ण के छठी की तिथि को लेकर लोगों के मन में काफी शंकाएं बनी हुई हैं, तो आइए उसे दूर करते हैं। बता दें कि इस साल श्रीकृष्ण की छठी 01 सितंबर, 2024 को मनाई जाएगी।

Krishna Chhathi 2024: भगवान कृष्ण को लगाएं ये भोग

इस दौरान उन्हें कढ़ी-चावल, माखन-मिश्री, पंजीरी-पंचामृत और ऋतुफल आदि का भोग अवश्य लगाएं। इसके साथ ही उनके ”मधुराष्टक स्तोत्र” का पाठ कर आरती करें। ऐसा करने से कान्हा की पूर्ण कृपा प्राप्त होगी।

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Krishna Chhathi 2024: ।।।मधुराष्टक स्तोत्र।।

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।

हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।

चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।

नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।

रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।

वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।

सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।

दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।

दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

।। श्री बाँकेबिहारी की आरती।।

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।

कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।

श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।

प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।

देखि छवि बलिहारी जाऊँ।

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

चरणों से निकली गंगा प्यारी।

जिसने सारी दुनिया तारी।

मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ।

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

दास अनाथ के नाथ आप हो।

दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।

हरि चरणों में शीश नवाऊँ।

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

श्री हरि दास के प्यारे तुम हो।

मेरे मोहन जीवन धन हो।

देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ।

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ।

हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।

श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥

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