Unemployment: एयर इंडिया ने मुंबई एयरपोर्ट पर लोडर के पदों पर वैकेंसी निकाली। वैकेंसी 2,216 पदों के लिए थी, लेकिन पंहुचे कितने.. 25 हजार से ज्यादा युवा। जॉब के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं पास थी। जिसके लिए 20 से 25 हजार रुपये सैलरी रखी गई थी… लेकिन यहां कई ऐसे युवा थे जिनके पास अच्छी-खासी डिग्री थी। गुजरात के भरूच के एक होटल में 10 पदों पर वैकेंसी निकली थी, लेकिन पंहुचे हजारों युवा। भीड़ इतनी की वहां लगी रेलिंग तक टूट गई।
Unemployment: क्या भारत बेरोजगारी के चक्रव्यूह में फंस रहा है?
मुंबई और भरूच की ये दो घटनाएं बानगी भर हैं। जहां भी नौकरियां निकलती हैं वहां युवाओं की ऐसी भीड़ दिखना आम है। ऐसे में इन तस्वीरों से उठते सवाल की क्या भारत बेरोजगारी के चक्रव्यूह में फंस रहा है? आज इसी सवाल का जवाब ढूंढने की कशिश करेंगे….
Unemployment: सबसे पहले सरकारी आकड़ों की बात कर लेते है…
हाल ही में जारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि देश में 2022-23 की तुलना में 2023-24 में ढाई गुना ज्यादा नौकरियां बढ़ीं हैं। RBI के आंकड़े बताते हैं मार्च 2024 तक देश में 64.33 करोड़ लोगों के पास नौकरियां थीं। इससे पहले मार्च 2023 तक नौकरी करने वालों की संख्या 60 करोड़ से भी कम थी। वहीं, 10 साल पहले 2014-15 में लगभग 47 करोड़ लोग ऐसे थे, जिनके पास नौकरी थी… अगर RBI के इन आंकड़ों को देखें तो देश में पिछले 4 सालों में 8 करोड़ नौकरियां बढ़ी हैं।
Unemployment: EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) के आंकड़ो के अनुसार
अब EPFO के आंकड़ें भी देख लीजिए.. पांच साल में इसके सब्सक्राइबर्स की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। 2019-20 में 78.58 लाख EPFO सब्सक्राइबर्स थे, जिनकी संख्या 2023-24 तक बढ़कर 1.31 करोड़ से ज्यादा हो गई।
वहीं, Periodic Labor Force Survey के तिमाही बुलेटिन के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2024 के बीच देश में बेरोजगारी दर 6.7% थी। इससे पहले अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में ये दर 6.5% और जुलाई से सितंबर में 6.6% थी।
Unemployment: अब कुछ नीजी संस्थानों की रिपोर्ट पर भी गौर कजिए..
देश की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने वाली निजी संस्था…. Center for Monitoring Indian Economy की रिपोर्ट बताती है कि भारत में इस साल जून के महीने में बेरोजगारी दर 9.2% थी, जो 13 साल में सबसे ज्यादा थी। मई में यही दर 7% थी. इसमें गांवों में बेरोजगारी का आकड़ा 9.3% था जबकि शहरों में 8.6% बेरोजगारी दर थी।
इसके अलावा International Labor Organization की रिपोर्ट बताती है कि 2023 तक भारत में जितने बेरोजगार थे, उनमें से 83% युवा थे। इतना ही नहीं, दो दशकों में बेरोजगारों में पढ़े-लिखों की हिस्सेदारी लगभग दोगुनी हो गई है।
ILO की रिपोर्ट बताती है कि साल 2000 में बेरोजगारों में पढ़े-लिखों की हिस्सेदारी 35.2% थी, जो 2022 तक बढ़कर 65.7% हो गई। इसको लेकर ILO का कहना था कि भारतीय युवाओं, खासकर ग्रेजुएट करने वालों में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है और ये समय के साथ लगातार बढ़ रही है।
Unemployment: भारत में पढ़े-लिखे बेरोजगार ज्यादा हैं
हलांकि सिर्फ ILO ही नहीं, बल्कि सरकारी रिपोर्ट भी इस ओर इशारा करती हैं कि भारत में पढ़े-लिखे बेरोजगार ज्यादा हैं। इस बारे में कुछ जानकारों का मानना है कि अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग अपना छोटा-मोटा काम शुरू कर देते हैं, जबकि पढ़े-लिखे युवा अपनी योग्यता के आधार पर काम तलाशते हैं, जिस कारण उनमें बेरोजगारी दर ज्यादा होती है।
अब गौर करें तो पाएंगे कि सरकारी और नीजी सास्थनों के आकड़ों में काफी फर्क है ये आकड़ो का फर्क इसलिए है कि डेटा जुटाने के तरीके अलग-अलग है, सरकार विस्तृत deta जारी नहीं करती क्यों… सरकार ने इस बारे में कभी बताया नहीं…
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