Hatkeswar Bridge and Corruption: एक आम आदमी दिन रात एक करके अपने महेनत से पैसे कमाता है जिसमें से वो कुछ हिस्सा देश के विकास के लिए सरकार को टैक्स के तौर पर देते है। लेकिन जब सरकार ही उन पैसों को बर्बाद करें तो ये बेहद शर्म की बात है। गुजरात के अहमदाबाद से कुछ ऐसी ही खबर सामने आई है जिसे सुनकर आप भी कहेंगी कि ‘ये क्या मजाक है’। दरअसल, यहां 42 करोड़ की लागत से बने ब्रिज को अब 52 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर भरकर गिराया जाएगा।
Hatkeswar Bridge and Corruption: क्या है ये पूरा मामला? और सरकार को ऐसा करने की नौबत क्यों आन पड़ी।
दरअसल, साल 2017 में लोगों की सहुलियत के लिए अहमदाबाद नगर निगम ने जर्जर हाटकेश्वर ब्रिज का निर्माण करवाया था। लेकिन पिछले दो साल से ये ब्रिज बंद है। इस ब्रिज को तोड़ गिराने के लिए अब तक 4 बार टेंडर निकाले गए है। अहमदाबाद नगर निगम के टेंडर की यह कहानी भी काफी दिलचस्प रही क्योंकि, इस जर्जर ब्रिज को तोड़ गिरने के लिए जारी किए गए पहले दो बार में किसी भी कांट्रेक्टर ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया था।
तीसरी बार जब टेंडर निकाला गया तो महाराष्ट्र के एक कांट्रेक्टर ने टेंडर तो भरा लेकिन आखिर में वो भी खिसक गया तो मजबूरन इस ब्रिज को गिराने के लिए चौथी बार नगर निगम ने टेंडर निकाला और आख़िरकार राजस्थान के कांट्रेक्टर विष्णुप्रसाद पुंगलिया ने 52 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर भरकर इस ब्रिज को तोड़ने के लिए इंटरेस्ट दिखाया है। जिसके बाद आखिरकार अब हाटकेश्वर ब्रीज तोड़े जाने की उम्मीद बनी है।
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Hatkeswar Bridge and Corruption: अब आपको इस ब्रिज के भ्रष्टाचार की कहानी बताते है..
साल 2017 में इस ब्रिज का निर्माण अजय इन्फ्रा नाम की कंपनी द्वारा बयालीस करोड़ की लागत से किया गया था। तब अजय इन्फ्रा का दावा था कि, इस ब्रिज की आयु 100 साल की होगी। आप देखिए कि किस कदर इसमें भ्रष्ट्रचार किया गया। जिस पुल की आयु 100 साल बताई गई उसकी मजबूती पर मजह 5 साल में ही सवाल उठने शुरू हो गए। इसके बाद इसका stability test करवाया गया था। इसमें अलग-अलग reports में पाया गया कि इस ब्रज को बनाने में हल्की गुणवत्ता के material का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद अहमदाबाद नगर निगम ने इस ब्रिज को पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया। साथ ही हाटकेश्वर ब्रिज बनाने वाली कंपनी को black list कर दिया गया।
Hatkeswar Bridge and Corruption: बनाने वाली कंपनी अजय इन्फ्रा से वसूला जाएगा।
पुछले दो सालों से ये ब्रिज बंद है जिसके चलते स्थानीय लोगों को सबसे ज्यदा परेशानी हो रही है… लोगों का कहना है कि प्रशासन को पिछले दो साल में 20 से ज्यादा आवेदन दे चुके हैं। कई बार धरना प्रदर्शन भी किया गया है। लेकिन ये भ्रष्टाचार का ब्रिज ऐसे ही जर्जर हालत में पिछले 2 साल से खड़ा है। इतना ही नहीं इस ब्रिज की वजह से सर्विस रोड पर लोग चलकर आवाजाही तक नहीं कर पाते साथ ही ट्रैफ़िक जाम से हर कोई परेशान है।
साल 2017 में जिस ब्रिज को 42 करोड़ की लागत से बनाया गया अब उसको तोड़ने का खर्च 52 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। अगले दो हफ्ते में सारे नियमों के मुताबिक ब्रिज तोड़ने के लिए work order जारी किया जाएगा। इस ब्रिज को तोड़ने के लिए 18 महीने का समय लगेगा। जिसके लिए होने वाला खर्च इस ब्रिज को बनाने वाली कंपनी अजय इन्फ्रा से वसूला जाएगा।
Hatkeswar Bridge and Corruption: बिहार का पिछले 24 महीने यानी 2 साल में का डेटा
लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं है जब इस तरह का भ्रष्ट्राचार देखने को मिला है। चलिए इस मामले में आपको बिहार का पिछले 24 महीने यानी 2 साल में का डेटा दिखाते है।
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बिहार में कब-कब गिरे पुल?
22 मार्च 2023 सुपौल : बिहार के सुपौल जिले में बकोसी नदी पर बन रहे पुल का स्लैब गिर गया, हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई. करीब 1200 करोड़ की लागत से यह पुल तैयार किया जा रहा था.
24 जून 2023, किशनगंज : बिहार के किसनगंज में मेची नदी पर बन रहा पुल धंस गया. यहां छह पाये वाले पुल का निर्माण चल रहा था. इसी दौरान बारिश की मार से इसका एक पाया धंस गया.
4 जून 2023, खगड़िया : बिहार के खगड़िया जिले में गंगा नदी पर 1717 करोड़ की लागत से बन रहे पुल का एक हिस्सा गिर गया. हलांकि इससे एक साल पहले भी इसका एक हिस्सा गिर गया था.
16 मई 2023, पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया जिले में एक निर्माणाधीन पुल निर्माण के कुछ घंटे बाद ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. वजह बताई गई कि पुल को बनाने में ठेकेदार ने घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया.
19 मार्च 2023, सारण : यहां महानंदा नदी पर अंग्रेजों के जमाने का एक पुल ढह गया. बाढ़ के दौरान यह जर्जर हो चुका था. लेकिन इसकी मरम्मत नहीं कराई गई थी. बावजूद इसके पथ निर्माण विभाग द्वारा इसे खतरनाक घोषित नहीं किया गया था.
16 जनवरी 2023, दरभंगा : बिहार के दरभंगा में कमला नदी पर बना लोहे का पुल सरिए से लदा ट्रक का भार नहीं सह पाया और भरभराकर टूट गया.
18 दिसंबर 2022, बेगूसराय : बिहार के बेगूसराय जिले में 14 करोड़ की लागत से पुल बनाया गया था, जो उद्घाटन के पहले ही ढह गया. बताया गया कि करीब 206 मीटर लंबे इस पुल में ढहने से पहले दरार आई और तीन दिन बाद पुल का पूरा स्लैब टूट कर गिर गया.
18 नवंबर 2022, नालंदा : बिहार के नालंदा में वेना ब्लाक मे चार लेन खंड पर सड़क पुल का निर्माण चल रहा था. लेकिन इसी बीच, निर्माणाधीन सड़क पुल ढह गया, जिसमें दबकर एक मजदूर की मौत हो गई.
9 जून 2022, सहरसा : बिहार के सीवान में गंडक नहर पर बना पुल का एक हिस्सा गिर गया, हादसे में कुछ मजदूर घायल हुए थे. आरोप लगा कि 147 करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल के ठेकेदार को सेटरिंग बदलने के लिए कहा गया था, लेकिन बिना सेटरिंग बदले उसने पुल की ढलाई कर दी.
20 मई 2022, पटना : पटना से 25 किलोमीटर दूर फतुहा में 136 साल पुराना सड़क पुल ज्यादा वजन होने के चलते ढह गया. इस पुल का निर्माण 1984 में ब्रिटिस काल के दौरान हुआ था.
ये सिर्फ बिहार का डेटा है.. लेकिन बाकी राज्यों का हाल भी कुछ इस तरह है… सवाल ये है कि आखिर कब तक भ्रष्ट्राचार का खामियाजा आम जनता को झेलना पड़ेगा…. क्यों सरकार इन मामलों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करती… सरकार को जरूरत है कि वो इन जैसी क्पनियों और ठेकेदारों से सख्ती से निपटे…
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