Delhi HC ने 2020 के दंगों के मामले में Sharjeel Imam को जमानत दे दी

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Sharjeel Imam

Delhi HC ने दिल्ली दंगा मामले के आरोपी शरजील इमाम को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण देने के मामले में वैधानिक जमानत दे दी है। जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया। हालांकि इस आदेश के बावजूद शरजील इमाम जेल से बाहर नहीं आ पाएगा, क्योंकि दिल्ली दंगे की बड़ी साजिश के मामले में भी वो जेल में बंद है।

Delhi दंगा मामले में जेल में बंद Sharjeel Imam को जमानत

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगा मामले के आरोपी शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा की दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर हिंसा की साजिश रची गई।

Special Public Prosecutor अमित प्रसाद ने कहा कि शरजील इमाम का भाषण लोगों को उकसाने के लिए था। शरजील ने अपने भाषण में कहा था कि अगर आप सड़कों पर नहीं उतरोगे तो वो लोग खत्म कर देंगे। उसके सभी भाषण एक समान थे जिसमें चक्का जाम, बाबरी, ट्रिपल तलाक और अनुच्छेद 370 की चर्चा थी। इतना ही नहीं शरजील इमाम ने chicken neck corridor जाम कर उत्तर-पूर्व के हिस्से को देश के बाकी हिस्सों से काटने की भी बात की थी। ये तमाम बातें दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कही।

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गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 11 मार्च को शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। शरजील इमाम की ओर से पेश वकील ने कहना था कि शरजील ने अधिकतम 7 साल की सजा की आधी सजा काट ली है। ऐसे में उसको तुरंत जेल से रिहा किया जाए। बता दें कि शरजील इमाम 28 जनवरी 2020 से हिरासत में है।

इसके पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने 17 फरवरी को शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका खारिज कर दी थी. दरअसल, 30 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़कड़डूमा कोर्ट को निर्देश दिया था कि वो शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर 17 फरवरी तक सुनवाई पूरी करे। इसपर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश Special Public Prosecutor अमित प्रसाद ने कहा था कि प्रावधानों में कुछ भ्रम है।

सवाल ये है कि क्या UAPA के तहत कोई आरोपी आधी सजा पूरी करने के बाद अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 436A के तहत जमानत पाने का हकदार है? ये सवाल दिल्ली पुलिस की ओर से किया गया था। साथ ही शरजील की वैधानिक जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था की अपराध की गंभीरता को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। दिल्ली पुलिस का कहना था की सिर्फ इसलिए कि आरोपी ने उसके ऊपर दर्ज मामलों में मिलने वाली अधिकतम सजा का आधा हिस्सा जेल मे बिता लिया है, इस आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती है।

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