IAS Pooja Khedkar: महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर अब अफसर नहीं रहेंगी। ये झटका उन्हें मौजूदा समय में ही नहीं बल्कि उनकी भावी संभावनाओं पर भी लगा है। उनकी अस्थाई उम्मीदवारी को UPSC रद्द कर चुका है। अफसर बनने से पहले ही जिस ठसक और जुगाड़ के दम पर पूजा चर्चा में आई थी, उसी ठसक ने उनके करियर पर ग्रहण लगा दिया है।
IAS Pooja Khedkar से कहां चूक हुई और कौन-कौन से जुगाड़ उन पर भारी पड़े
पूजा की कहानी तब शुरू हुई थी जब उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित IAS परीक्षा पास की थी। उनकी ऑल इंडिया रैंक 841 थी। वो ट्रेनिंग के बाद असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर ज्वॉइन करने वाली थी। लेकिन गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती लगाने की चाह और एडिशनल कलेक्टर के चैंबर पर कब्जे की कोशिश ने उनका सारा करियर बर्बाद कर दिया।
दरअसल , पूजा खेडकर का मामला उस समय चर्चा में आया, जब अपनी निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती लगाने की उनकी ख्वाहिश और पुणे के एडिशनल कलेक्टर सुहास दिवासे के चैंबर पर कब्जे की उनकी कोशिशों ने सुर्खियों बटोरीं। इस बारे में दिवासे ने पूजा की शिकायत भी की, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।
IAS Pooja Khedkar के IAS बनने की जांच शुरू हुई
पूजा खेडकर के चर्चा में आने के बाद जब उनके IAS बनने की जांच शुरू हुई तो झूठ की एक के बाद एक परतें खुलती चली गई। पता चला, कि पूजा ने यूपीएससी के कोटे में आने के लिए ओबीसी कैटेगरी का फर्जी सर्टिफिकेट जमा कराया था।
जबकि वो क्रीमी लेयर ओबीसी हैं खेडकर ने सिर्फ ओबीसी ही नहीं, दिव्यांगता का फर्जी सर्टिफिकेट यूपीएससी में दिखाया हुआ था। इतना ही नहीं यूपीएससी में खुद को मानसिक दिक्कत होने और नजरें कमजोर होने की बात भी पूजा खेडकर ने कही थी। इसके अलावा बांये घुटने में लोकोमोटर दिव्यांगता की बात भी उन्होंने दस्तावेज में दिखाई।
IAS Pooja Khedkar यूपीएससी ने कुल 6 बार एम्स में डॉक्टरों से अप्वॉइंटमेंट लिया
इसके बाद यूपीएससी ने बाकायदा एम्स में पूजा की जांच कराने का फैसला किया। दरअसल, यूपीएससी इस रिपोर्ट के जरिए इस बात की तस्दीक करना चाहता था कि पूजा को सचमुच मानसिक बीमारी है और उनकी नजरें कमजोर हैं। पूजा के मेडिकल टेस्ट के लिए यूपीएससी ने कुल 6 बार एम्स में डॉक्टरों से अप्वॉइंटमेंट लिया। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि पूजा हर बार बहाना बनाकर टेस्ट से बचती रही। लेकिन जब जांच हुई तो पूजा के मानसिक सर्टिफिकेट को भी फर्जी माना गया।
IAS Pooja Khedkar की जांच के लिए यूपीएससी ने पिछले 15 साल के डेटा की समीक्षा की
इन सब को देखते हुए पूजा खेडकर मामले की जांच के लिए यूपीएससी ने पिछले 15 साल के डेटा की समीक्षा की। इसके बाद सामने आया कि खेडकर का इकलौता केस था जिसमें ये पता नहीं लगाया जा सका कि खेडकर ने कितनी बार यूपीएससी का एग्जाम दिया। वजह, उन्होंने हर बार न सिर्फ अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। अब भविष्य में ऐसा न हो सके। इसके लिए यूपीएससी SOP को और मजबूत करने की तैयारी कर रही है।
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