CM Yogi: यूपी में सरकार और संगठन के बीच कलह शांत होने का नाम ही नहीं ले रहीं है, लोकसभा चुनाव में यूपी में मिली हार के बाद बीजेपी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच अनबन की खबरें सुर्खियों में छाई हुई हैं तो वहीं अब योगी सरकार को कई फैसलों पर भी अपनों का ही विरोध झेलना पड़ा है।
आखिर है क्या जिसके चलते CM Yogi सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा
बता दें बुधवार को योगी सरकार ने नजूल भूमि विधेयक विधानसभा में पेश किया था, जिसे उस ही दिन पास भी करा लिया गया था लेकिन विधानसभा सत्र के आखिरी दिन इस बिल को लेकर विधानपरिषद में भारी हंगामा देखने को मिला, ना सिर्फ विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया बल्कि ,सीएम योगी को अपने सहयोगियों का भी विरोध झेलना पड़ा जिसके चलते ये विधेयक अटक गया क्योंकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने इसे प्रवर समिती को भेजने की मांग कर डाली और सरकार को इसे प्रवर समिति को भेजना पड़ा।
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CM Yogi: नजूल संपत्ती बिल आखिर है क्या?
चलिए बताते हैं नजूल की जमीन का मतलब ऐसे जमीनों से होता है जिसका कई सालों से कोई भी वारिस नहीं मिला होता, ऐसे में इन ज़मीनो पर राज्य सरकार का अधिकार हो जाता है, दरअसल अंग्रेजी राज के समय उनके खिलाफ बगावत करने वाली रियासतों से लेकर लोगों तक की ज़मीन पर ब्रिटिश राज कब्जा कर लेती थी, आजादी के बाद इन जमीनों पर जिन्होंने रिकॉर्ड के साथ दावा किया, सरकार ने उन ज़मीनो को वापस कर दिया।
वहीं जिन ज़मीनों पर किसी ने दावा नहीं किया वो ही नजूल की ज़मीन बन गई, जिसका अधिकार राज्य सरकारों के पास था, लेकिन अब इस बिल पर यूपी सरकार का तर्क है कि वे नजूल जमीनों का इस्तेमाल अब विकास कार्यों के लिए करेंगें।
CM Yogi: विधान परिषद में क्यों अटका नजूल कानून?
भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि ‘अभी इस मुद्दे पर सहमति नहीं है’ इसलिए इसे प्रवर समिति में भेजा जाए। विधान परिषद के सभापति ने आग्रह को स्वीकार किया और इसे प्रवर समिति में भेज दिया। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि सत्ता पक्ष की तरफ से संशोधन मांगा जाए। हमेशा संशोधन विपक्ष ही मांगता है। प्रवर समिति में बिल को भेजने से बीजेपी के कई विधायक खुश दिखें। हर्षवर्धन वाजपेयी ने बुधवार को इस विधेयक पर विधानसभा में आपत्ति जताई थी लेकिन अगले दिन उनके सुर बदले हुए थे।
CM Yogi: राजा भैया कहना था कि ये जनता के हित में नहीं हैं
बता दें इस विधेयक के विरोध में यूपी की कुंडा सीट से विधायक जनसत्ता दल के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भी दिखे, उनका कहना था कि ये जनता के हित में नहीं हैं। इससे लोगों के घर टूटेंगें, लोग बेदखल होंगे, साथ ही NDA की सहयोगी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी इसे गैर जरूरी और जन भावना के खिलाफ बताया, कहा यह सरकार जल्दबाजी में लाई है।
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CM Yogi: कांग्रेस ने आंदोलन की चेतावनी
बता दें कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी थी और कहा था कि ऐसा लगता है कि सरकार के भीतर भी इस विधेयक को लेकर गुस्सा है, वहीं विधान परिषद के इस कदम के बाद अब कई भाजपा के विधायकों ने खुशी जताते हुए कहा कि पूरी तरीके से इस पर बातचीत के बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए, वहीं इस विधेयक के विधानसभा में पास होने के बाद कई विधायकों ने सीएम योगी से अलग से मुलाकात की थी और इस पर कई संशोधन सुझाए थे, ऐसा बहुत कम होता है कि सत्ता पक्ष की तरफ से संशोधन मांगा जाए क्योंकि हमेशा संशोधन विपक्ष ही मांगता है।
CM Yogi: सरकार को झुकना ही पड़ा
लेकिन अब यह साफ हो जाता है कि इस मामले पर सरकार को झुकना ही पड़ा और ये सरकार के लिए असहज सी स्थिती थी, फिलहाल अब विधानसभा से पास नजूल विधेयक पर दो महीने के बाद प्रवर समिति जब अपनी रिपोर्ट सौंपेगी तो उसके बाद ही इस पर कोई फैसला होगा। यानी अब ये 2 महीने के लिए ठंडे बस्ते में चला गया है।
CM Yogi: प्रवर समिति में विधेयक भेजकर सरकार ने मुसीबत टाली
कल तक इस कानून की पैरोकार रही योगी सरकार आज यू टर्न लेकर विधेयक को प्रवर समिति में भेजकर अपनी मुसीबत टाल दी है। राजनैतिक विश्लेषक इसके पीछे आगामी विधानसभा का उपचुनाव और 2027 से पहले लोगों की नजर में अमानवीय बनने से ख़ुद को बचाने का प्रयास है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और जेपीएस राठौर तक इस बिल की खूबियां गिना रहे थे।
और अपने ही विधायकों को इसे ठीक से पढ़ने की सलाह तक दे रहे थे जबकि इनके अपने विधायक इस मुद्दे पर कुछ भी सुनने को तैयार नही थे। इसके साथ नजूल की जमीन पर बसे लोगों में बड़ी संख्या अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों की है जिनकी नाराज़गी झेलने की स्थिति में योगी सरकार बिल्कुल नहीं है।
प्रवर समिति(Select committee) में बिल को भेंजे जाने के बाद भी सपा इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेरने की कोशिश में है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि नजूल की जमीन पर सबसे ज्यादा कब्जा बीजेपी के नेताओं की है इसलिए सरकार पहले अपने लोगों से बिल का विरोध कराती है फिर प्रवर समिति में भेजती है. सरकार की मंशा ही नही है कि नजूल की जमीन को बीजेपी नेताओं से खाली कराया जाए. कांग्रेस ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि जबतक सरकार बिल को वापस नही लेती कांग्रेस का विरोध जारी रहेगा।
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