BJP OR RSS : राजधानी दिल्ली में 2025 के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा एक बार फिर संघ के दरबार मे आ गई हैं । राजस्थान के रणथंभौर में हाल के दिनों में भाजपा और आरएसएस की दो दिवसीय समन्वय बैठक हुई है। रणथंभौर में दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की रणनीति के अलावा इस बात पर भी चर्चा हुई कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आखिरकार भाजपा किसको चुनाव में उतारेगी।
हालांकि तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल भाजपा और आरएसएस के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिए भाजपा और आरएसएस ने बैठक करी है ताकि भाजपा जो पिछले 26 साल से सत्ता से बाहर है वह दिल्ली की सत्ता मे काबिज हो सके।
BJP OR RSS: सभी को संगठन मजबूत करने का दिया आदेश
बैठक में भाजपा के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी शामिल हुए। वह भाजपा के साथ आरएसएस का समन्वय करेंगे। भाजपा सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में पर्दे के पीछे बैठक के लिए रणथंभौर को चुना गया क्योकि राजस्थान में अब भाजपा की सरकार है इसलिए विचार-मंथन सत्र आयोजित करने में कोई खास दिक्कत भी नहीं आई। भाजपा को लगता है कि दिल्ली में पार्टी के अंदर काफी गुटबाजी है। अगर हम दिल्ली से दूर चले जाएं और दो दिन साथ रहें तो ग्रुप का वह झगड़ा बहुत कम हो जाएगा जोकि काम भी आया और सभी ने एक साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने का फैसला लिया हैं।
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केजरीवाल के खिलाफ भाजपा और संघ को है सीएम फेस की तलाश
भाजपा नेतृत्व के साथ-साथ आरएसएस नेतृत्व में भी एक ऐसा वर्ग है जिसको लगता है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में किसी को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस चिंतन बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेव, दिल्ली भाजपा के केंद्रीय नेता समेत दिल्ली भाजपा के सभी सातों सांसद, 7 विधायक, पूर्व विधायक और भाजपा के विभिन्न मोर्चों, आईटी सेल के करीब 40 नेता राजस्थान पहुंचे थे।
केजरीवाल की सहानुभूति वोट बटोरने की है कोशिश
दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे हैं। इससे पहले केजरीवाल ने राजनीतिक दाव खेलते हुए लोगों की सहानुभूति बटोरने के लिए जेल से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। भले ही भाजपा पिछले मार्च में उत्पाद शुल्क भ्रष्टाचार मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से यह दावा कर रही है, लेकिन चुनाव से तीन-चार महीने पहले वह यह रणनीति अपनाएगी।
दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की 70 सीटों में से केवल 8 सीटें जीतीं थी। पिछले 26 सालों से दिल्ली में पहले कांग्रेस, फिर आम आदमी पार्टी सत्ता में रही है यही बात अब भाजपा को खटकने भी लगी हैं। केंद्र में मोदी सरकार के लगातार तीन कार्यकाल जीतने के बावजूद भी राजधानी दिल्ली में भाजपा की तीन बार करारी हार ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को परेशान कर दिया है। कुल मिलाकर पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार आरएसएस ज्यादा सक्रिय हैं । सूत्रों के मुताबिक, अब हरियाणा में भी भाजपा आरएसएस को ग्रामीण इलाकों में जनसमर्थन मिलेगा।
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