Afghanistan: मोहर्रम त्योहार से पहले इस मुस्लिम देश का बड़ा फैसला जी हां मोहर्रम को लेकर इस देश में बने कड़े कानून, नहीं माने तो भुगतना होगा दंड, किस समुदाय के लिए बने ?, कौन से देश में बने?
Afghanistan का क्या है पूरा मामला ?
17 जुलाई को दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय मोहर्रम का त्योहार मना रहा है लेकिन इसी बीच मुहर्रम से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां मोहर्रम पर लगे कड़े प्रतिबंध किसी और देश में नहीं बल्कि इस्लामिक देश अफगानिस्तान में लगे हैं जहां तालिबान ने Sharia law के तहत कड़े कानून बनाए है।
Afghanistan: मोहर्रम पर शिया समुदाय के लोग
लेकिन उससे पहले मोहर्रम पर शिया समुदाय के लोग अपना खून बहाकर और छाती पीटकर मुहर्रम पैगंबर मुहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की मृत्यु का मातम मनाते हैं। वहीं, सुन्नी ताजिया पुर्सी करते हैं, लेकिन अब मोहर्रम पर शोक समुदाय मनाने वाले समूहों को अब खुद को मारना, छाती पीटना, सड़को पर खून बहाना पूरी तरह से वर्जित है।
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Afghanistan: आदेश विशेष रूप से शिया समुदाय के लिए
आदेश ना मानने वालों को कड़े दंड भुगतने की चेतावनी दी गई है, लेकिन इससे यह साफ हो जाता है कि यह आदेश विशेष रूप से शिया समुदाय के लिए है और कानून बनाने से पहले शिया धर्म गुरूओं से बकायदा सहमति ली गई हैं।
Afghanistan: शिया समुदाय को मोहर्रम मनाने से रोका क्यों ?
लेकिन अब सवाल यह खड़ा होता हैं कि एक इस्लामिक देश में ही शिया समुदाय के लोगों को मोहर्रम का त्योहार मनाने से रोका क्यों जा रहा है?
क्या उनमें अब इस फैसले को लेकर नाराजगी हैं ?, क्या तालिबनी शासन शिया समुदाय पर अपने आदेश थोप रहा है? क्या यह फैसला सिर्फ एक समुदाय को टारगेट करता है ? या फिर तालिबानी शासन शिया समुदाय की आज़ादी छीन रहा है?
सवाल बहुत हैं क्योंकि आप को बता दें अफगानिस्तान में अगस्त 2021 यानी तालिबान के कब्जे से पहले शिया समुदाय बिना किसी प्रतिबंध के खुलेआम मोहर्रम मनाता था, हालांकि अब इस समुदाय को इसके लिए कई प्रतिबंधो का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें काबुल नाउ में पब्लिश एक रिपोर्ट में यह जानकारी मिली अब आपको उन नियमों के बारे में बताते हैं जो शिया समुदाय के लिए मोहर्रम पर प्रतिबंध लगाते हैं
पहला – मोहर्रम के समारोह केवल मस्जिदों या सरकारी अधिकारियों और शिया विद्वानों की तरफ से बताए गए स्थानों पर ही आयोजित किए जाएंगे।
दूसरा- शिया आबादी वाले क्षेत्रों में शोक समारोह केवल शिया मस्जिदों में ही आयोजित किए जाने चाहिए और झंडा फहराने का कार्यक्रम केवल विशेष परिस्थितियों में ही किया जाएगा।
तीसरा- शोक मनाने वालों को समूह में नहीं आने के लिए कहा गया है। शोक मनाने वालों को प्रवेश करने के बाद मस्जिदों का दरवाजा बंद कर देना चाहिए। बंद दरवाजे के पीछे ही शोक समारोह मनाए जाएंगे।
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चौथा- शोक समारोह के दौरान विलाप पाठ और अन्य ऑडियो नहीं बजना चाहिए। झंडे केवल मस्जिदों के पास ही लगाए जाने चाहिए।
पाचंवा – झंडों और पोस्ट पर किसी भी तरह के राजनीतिक नारे, अनुचित फोटो या दूसरे देशों की शर्तों को लिखना पूरी तरह से मना है।
छठा- जिस जगह पर झंडे वितरित होंगे वह पहले से स्थान तय होना चाहिए। इन समारोहों में सुन्नी मुसलमानों को नहीं बुलाया जाना चाहिए। और समारोह में छाती पीटना मना है।
तो ये कुछ प्रतिबंध हैं बता दें तालिबान ने नियमों को बनाने से पहले बकायदा बैठक बुलाई गई और शिया धर्म गुरुओं के हस्ताक्षर भी सहमति पत्र पर लिए गए।
Afghanistan: तालिबान का शरिया कानून के तहत कानून
तालिबान ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह शरिया कानून के तहत कानून चलाते हैं। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति का मजाक बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस पर अब आगे देखना होगा कि मुस्लिम लोगों की इस पर क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।
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