Bharat-Bangladesh संबंधों में Intense Tension: शेख हसीना की वापसी पर अंतर्राष्ट्रीय विवाद 24/7

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Bharat-Bangladesh: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा भारत को हाल ही में दी गई चेतावनी और शेख हसीना के खिलाफ जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक नया मोड़ ला दिया है। इस घटनाक्रम ने दक्षिण एशियाई राजनीति में भूचाल ला दिया है और दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि का भविष्य सवालों के घेरे में आ गया है। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के शीर्ष सलाहकार आसिफ नजरूल के बयान ने साफ कर दिया है कि अगर भारत पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस भेजने से इनकार करता है, तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।

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शेख हसीना: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री

Bharat-Bangladesh: शेख हसीना बांग्लादेश की अवामी लीग की प्रमुख नेता और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वह बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और ताकतवर नेता के रूप में जानी जाती हैं। उनके नेतृत्व में बांग्लादेश ने राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता प्राप्त की, लेकिन उन पर गंभीर आरोप भी लगे हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, मानवाधिकार हनन, और हत्या जैसे आरोप शामिल हैं। शेख हसीना की सरकार के खिलाफ बांग्लादेश में जनता के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा था, जिसका परिणाम अंततः उनकी सरकार के पतन में हुआ।

बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण का गिरफ्तारी वारंट

Bharat-Bangladesh: 17 अक्टूबर 2024 को बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। यह वारंट उनके और 45 अन्य आरोपियों के खिलाफ जबरन गायब करने, हत्या, और सामूहिक हत्याओं के आरोपों पर जारी किया गया है। इस न्यायाधिकरण का गठन बांग्लादेश में युद्ध अपराधों और मानवाधिकार हनन के मामलों की जांच करने के लिए किया गया था। शेख हसीना और उनकी सरकार के कई वरिष्ठ नेता, पत्रकार, और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पूर्व अधिकारी भी इस वारंट में शामिल हैं।

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि

Bharat-Bangladesh: भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि कई सालों से अस्तित्व में है, जिसके तहत दोनों देश अपराधियों और भगोड़ों को एक-दूसरे के हवाले कर सकते हैं। इस संधि के तहत भारत पर शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने का दबाव डाला जा रहा है। बांग्लादेश के कानून सलाहकार आसिफ नजरूल ने कहा कि भारत इस संधि के तहत शेख हसीना को बांग्लादेश भेजने के लिए बाध्य है। हालांकि, भारत ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अभी तक हसीना को वापस भेजने से इनकार किया है।

भारत पर बढ़ते दबाव

Bharat-Bangladesh: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हाल ही में भारत को चेतावनी दी है कि अगर शेख हसीना को वापस नहीं भेजा गया, तो इसका परिणाम गंभीर हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को उठाने की तैयारी की जा रही है। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा है कि अंतरिम सरकार शेख हसीना को वापस लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी और इसके लिए कूटनीतिक दबाव भी बनाया जाएगा।

शेख हसीना के समर्थन और विरोध

Bharat-Bangladesh: जहां एक तरफ बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थक और अवामी लीग पार्टी उनके बचाव में खड़ी है। हसीना की सरकार के समर्थकों का कहना है कि यह वारंट और आरोप राजनीतिक षड्यंत्र के तहत लगाए गए हैं। हसीना के समर्थक यह भी मानते हैं कि उनके शासनकाल में बांग्लादेश ने आर्थिक और सामाजिक सुधार देखे हैं, और उनकी वापसी देश के लिए महत्वपूर्ण होगी।

वहीं, उनके विरोधियों का कहना है कि शेख हसीना ने अपने शासनकाल के दौरान भ्रष्टाचार, मानवाधिकार हनन, और राजनीतिक दमन किया है, और उन्हें न्याय के कटघरे में लाना जरूरी है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के महासचिव एडवोकेट रूहुल कबीर रिजवी ने कहा कि शेख हसीना को शरण देना एक अपराधी को शरण देने के बराबर है, और भारत को उन्हें तुरंत बांग्लादेश वापस भेजना चाहिए।

भारत के सामने चुनौतियां

Bharat-Bangladesh: भारत के लिए यह स्थिति काफी संवेदनशील है। एक तरफ भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत कूटनीतिक और आर्थिक संबंध हैं, तो दूसरी ओर शेख हसीना को वापस भेजना भारतीय राजनीति और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले ही इस बात का जिक्र किया है कि शेख हसीना की सुरक्षा को लेकर चिंता है और यही कारण है कि उन्हें अभी तक बांग्लादेश नहीं भेजा गया है।

भारत के सामने अब यह चुनौती है कि वह बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखते हुए कैसे इस समस्या का समाधान निकाले। अगर भारत शेख हसीना को बांग्लादेश भेजता है, तो यह उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक फैसला होगा, जिसका प्रभाव दोनों देशों के संबंधों पर पड़ सकता है।

क्या हो सकता है भविष्य?

Bharat-Bangladesh: यह मामला अभी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बना हुआ है। अगर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाती है, तो भारत को कूटनीतिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी ओर, अगर भारत शेख हसीना को वापस भेजने का फैसला करता है, तो इससे दोनों देशों के संबंधों में और तनाव बढ़ सकता है।

हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि भारत इस मामले में क्या कदम उठाता है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे कूटनीतिक संबंधों को देखते हुए, यह मामला और भी जटिल हो सकता है।

Bharat-Bangladesh: निष्कर्ष

शेख हसीना का प्रत्यर्पण मामला भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों के लिए एक बड़ा परीक्षण है। जहां एक तरफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शेख हसीना को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर भारत अपने हितों की रक्षा करने की कोशिश कर रहा है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश इस समस्या का समाधान कैसे करते हैं और उनके रिश्ते पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

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