विज्ञापन BCCI के लिए मोटी कमाई का साधन है इसलिए अक्सर आपने क्रिकेट के दौरान विभिन्न चीजों के विज्ञापन देखे होंगे जिसमें आपने तंबाकू और गुटखों के Ads भी ज़रूर देखे होंगे लेकिन अब शायद मैच के दौरान आपको तंबाकू ,गुटखों के Ads देखने को नहीं मिलेंगे क्योंकि Health Ministry मैच के दौरान दिखाए जाने वाले तंबाकू और गुटखों के ऐड्स को बंद कराने के मूड में है।
विज्ञापनों से BCCI बोर्ड की अच्छी कमाई होती है?
गुटखे और तंबाकू के विज्ञापनों से BCCI बोर्ड की अच्छी कमाई होती है लेकिन सामने आई लाइव मिंट की एक रिपोर्ट में बताया गया कि स्टेडियम में मैच के दौरान दिखाए जाने वाले तंबाकू और गुटखे के विज्ञापनों को बंद किया जा सकता है।अब Union Health Ministry BCCI से मैदान पर धुआं रहित तंबाकू के विज्ञापन को बंद करने के लिए कहने की प्लानिंग कर रहा है। इसमें उन विज्ञापनों को बंद कराने पर ज़्यादा जोर दिया गया जिसे किसी सेलिब्रिटी ने प्रमोट किया है।
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आपको बता दे कि Indian Council of Medical Research (ICMR) और वैश्विक स्वास्थ्य संगठन वाइटल स्ट्रैटेजीज का एक अध्यन मई में British Medical Journal में प्रकाशित किया गया, जिसमें बताया गया कि 2023 में धुआं रहित तंबाकू ब्रांडों के सभी सरोगेट विज्ञापनों में से 41.3% क्रिकेट वर्ल्ड कप के पिछले 17 मैचों के दौरान दिखाए गए थे।
चलिए अब आपको बताते है कि आखिर तंबाकू गुटखे के Ads पर ही क्यों ये कार्यवाही देखने को मिली ?
दरअसल लाइव मिंट की रिपोर्ट में गोपनियता की शर्त पर एक सोर्स के हवाले से कहा गया है कि क्रिकेट मैच युवा जनसंख्या के बीच बहुत मशहूर हैं। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें सरोगेट धुआं रहित तंबाकू के विज्ञापन क्रिकेट मैचों के दौरान प्रदर्शित किए जा रहे हैं और इन विज्ञापनों को सेलिब्रिटियों का समर्थन हो रहा है।
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BCCI को पत्र लिखकर किसी भी रूप में तंबाकू विज्ञापन दिखाने से रोकने का आग्रह ?
यह प्रत्यक्ष तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से युवाओं को अपनी ओर खींचता है जिसके बाद माना जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय BCCI (को पत्र लिखकर किसी भी रूप में तंबाकू विज्ञापन दिखाने से रोकने का आग्रह कर सकते है तो जाहिर है आपको समझ आ गया होगा कि विज्ञापन बंद होने का कारण युवाओं पर पड़ने वाला इसका प्रभाव है।क्योंकि वनडे वर्ल्ड कप जैसे बड़े मैचों में युवा दर्शकों की संख्या ज्यादा होती है इसलिए गुटखे, तंबाकू के विज्ञापनों से युवाओं पर ज्यादा असर पड़ता है।
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