Chhoti Diwali: भारत में दिवाली का पर्व रोशनी, खुशियों और शुभता का प्रतीक है। इस पांच दिवसीय त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और इसके बाद छोटी दिवाली, बड़ा दीवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहते हैं, इस श्रृंखला का दूसरा दिन है और दिवाली से ठीक एक दिन पहले आता है।
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छोटी दिवाली का पौराणिक महत्व
Chhoti Diwali: छोटी दिवाली के साथ भगवान कृष्ण और राक्षस नरकासुर की कहानी जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार, असुर नरकासुर ने अपने अत्याचारों से देवताओं और ऋषियों को बहुत परेशान कर रखा था। तब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। कहते हैं कि नरकासुर की मृत्यु के दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव मनाया जाता है। इसलिए छोटी दिवाली को पाप और नकारात्मकता से मुक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
छोटी दिवाली पर विशेष परंपराएं
Chhoti Diwali: छोटी दिवाली पर लोग घरों की साफ-सफाई कर उन्हें सजाते हैं और दीप जलाकर रौशनी का स्वागत करते हैं। इस दिन लोग मिट्टी के दीयों में घी और तेल का दीप जलाते हैं। मान्यता है कि छोटी दिवाली पर दीप जलाने से अंधकार और बुरी शक्तियों का नाश होता है। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर लोग रूप चौदस के दिन विशेष रूप से उबटन लगाकर नहाते हैं, जिससे त्वचा को स्वच्छ और उज्जवल बनाया जा सके। इसे रूप चौदस इसलिए कहा जाता है क्योंकि लोग इस दिन अपनी सुंदरता और रूप का ध्यान रखते हैं और विशेष नहाने के अनुष्ठान करते हैं।
छोटी दिवाली की खास पूजा विधि
Chhoti Diwali: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है और फिर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। घर के मंदिर में भगवान कृष्ण और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को फूलों और दीपों से सजाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा के दौरान भक्त भगवान से सुख-समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। कुछ लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना करते हैं।
छोटी दिवाली का संदेश
Chhoti Diwali: छोटी दिवाली हमें सिखाती है कि जीवन से नकारात्मकता और बुराइयों को दूर कर अच्छाई का स्वागत करना चाहिए। जिस तरह भगवान कृष्ण ने नरकासुर का अंत कर सभी को मुक्त किया, उसी प्रकार हमें अपने अंदर की नकारात्मकताओं को दूर कर जीवन में रोशनी और सकारात्मकता का स्वागत करना चाहिए। छोटी दिवाली हमें खुद को और अपने आसपास को उज्जवल बनाने का प्रेरणा देती है।
छोटी दिवाली का आनंद कैसे लें?
- दीप जलाएं: छोटी दिवाली पर दीये जलाकर अपने घर और आंगन को रोशन करें।
- घरों की सजावट: इस दिन रंगोली बनाएं और घर को फूलों से सजाएं।
- परंपराओं का पालन करें: सुबह जल्दी उठकर स्नान और उबटन लगाएं, जो शारीरिक और मानसिक ताजगी देता है।
- भोग लगाएं: भगवान को मिठाइयों का भोग लगाएं और फिर उन्हें परिवार के साथ बांटें।
- अपनों के साथ समय बिताएं: इस पर्व को परिवार के साथ मनाएं, जिसमें खुशियों की सौगात और स्नेह का आदान-प्रदान हो।
उपसंहार
Chhoti Diwali: छोटी दिवाली दिवाली के मुख्य पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह दिन जीवन में अच्छाई की विजय और खुशियों का प्रतीक है। इस दिन की रौशनी और परंपराएं हमें जीवन में सकारात्मकता लाने और बुराई से मुक्ति पाने की प्रेरणा देती हैं। छोटी दिवाली हमें सिखाती है कि सच्ची दिवाली तब होती है जब हम अपने जीवन से अंधकार को दूर कर उजाले का स्वागत करते हैं।
यह दिवाली आप सभी के जीवन में खुशियाँ और उजाला लेकर आए!
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