परिचय
Demonetisation: 8 नवंबर 2016 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की। इसे नोटबंदी का नाम दिया गया। इस निर्णय का उद्देश्य काले धन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर अंकुश लगाना था। इस लेख में, हम नोटबंदी के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
Also read: https://vupsamachar.com/indian-revolutionary-24-7/
1. काले धन पर अंकुश
Demonetisation: नोटबंदी का एक प्रमुख उद्देश्य काले धन पर अंकुश लगाना था। इसका उद्देश्य उन संपत्तियों को उजागर करना था, जो बिना कर दिए गई थीं। हालांकि, इस कदम ने कई लोगों को अपने धन को वैध करने के लिए मजबूर किया, लेकिन वास्तविकता यह है कि काले धन का अधिकांश हिस्सा विदेशी बैंकों में या अन्य निवेशों में था, जिससे इसकी पूर्णता में कमी आई।
2. आर्थिक गतिविधियों में कमी
Demonetisation: नोटबंदी के तुरंत बाद, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती देखने को मिली। छोटे व्यवसायों और दिहाड़ी मजदूरों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा। कैश-आधारित अर्थव्यवस्था में काम करने वाले कई लोग प्रभावित हुए, और अनेक छोटे व्यवसाय बंद हो गए। इससे बेरोजगारी बढ़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हुईं।
3. बैंकिंग प्रणाली में सुधार
Demonetisation: नोटबंदी के बाद, लोगों ने बैंकों में अधिक धन जमा किया, जिससे बैंकिंग प्रणाली में सुधार हुआ। बैंकों के पास अधिक तरलता आई, जिससे उन्हें ऋण देने में आसानी हुई। इससे निवेश की संभावनाएँ भी बढ़ीं, लेकिन यह केवल दीर्घकालिक सुधार की ओर ले जाने वाला था।
4. डिजिटल लेन-देन का उदय
नोटबंदी ने डिजिटल भुगतान के तरीकों को तेजी से बढ़ावा दिया। पेटीएम, गूगल पे, और भीम ऐप जैसे डिजिटल वॉलेट्स का उपयोग बढ़ा। इससे वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा मिला, खासकर युवा वर्ग में।
5. कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
कृषि क्षेत्र में नोटबंदी का प्रभाव नकारात्मक रहा। किसानों को अपनी फसल बेचने में कठिनाई हुई, और कई किसानों ने अपनी उपज को उचित मूल्य पर नहीं बेचा। ग्रामीण क्षेत्रों में नकद की कमी के कारण कई विकास योजनाएँ प्रभावित हुईं।
6. वित्तीय बाजारों में अस्थिरता
Demonetisation: नोटबंदी के कारण शेयर बाजार में अस्थिरता देखी गई। निवेशकों का विश्वास डगमगाया, और कई कंपनियों की बाजार पूंजी में गिरावट आई। हालांकि, कुछ समय बाद बाजार ने स्थिरता हासिल की, लेकिन शुरुआती चरण में चिंता बढ़ी।
7. राजकोषीय स्थिति पर प्रभाव
नोटबंदी का सरकार के राजस्व पर भी प्रभाव पड़ा। आयकर वसूली में वृद्धि हुई, लेकिन छोटे व्यवसायों और कृषि क्षेत्र में गिरावट ने राजस्व को प्रभावित किया। इसके परिणामस्वरूप, सरकार को विभिन्न योजनाओं में बदलाव करने पड़े।
निष्कर्ष
नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों ही प्रभाव पड़े। जबकि इसका उद्देश्य काले धन को समाप्त करना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था, वहीं इसके तुरंत बाद की चुनौतियाँ भी स्पष्ट थीं। दीर्घकालिक दृष्टि से, नोटबंदी ने कुछ सुधार लाए, लेकिन इससे उत्पन्न अस्थिरता और समस्याएँ अभी भी चर्चा का विषय हैं।
इस निर्णय के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इसी प्रकार के निर्णय अधिक प्रभावी और समृद्धि की दिशा में ले जा सकें।
Subscribe our channel: https://www.youtube.com/@rajnitibharat