Medicine की कीमतों में Stunning बढ़ोतरी: Health Impact 24/7

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परिचय

Medicine: स्वास्थ्य एक ऐसी बुनियादी जरूरत है, जिसका ख्याल रखना हर व्यक्ति का प्राथमिक कर्तव्य है। लेकिन जब स्वास्थ्य संबंधी दवाओं की कीमतें अचानक बढ़ जाती हैं, तो यह न केवल मरीजों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय बन जाता है। हाल ही में भारत सरकार ने कई आवश्यक दवाओं की सीलिंग प्राइस में 50% की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। यह निर्णय अस्थमा, ग्लूकोमा, थैलेसीमिया, ट्यूबरकुलोसिस और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे मरीजों के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है। आइए, इस फैसले के पीछे के कारणों और इसके संभावित प्रभावों पर नजर डालते हैं।

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दवाओं की बढ़ती कीमतें: एक गंभीर समस्या

Medicine: राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने एक बयान में स्पष्ट किया है कि दवा सामग्रियों की बढ़ती लागत, उत्पादन लागत में इजाफा, और विनिमय दरों में बदलाव जैसे कारकों के कारण दवा निर्माताओं ने कीमतों में वृद्धि के लिए आवेदन किए थे। इससे यह सिद्ध होता है कि दवा निर्माताओं को अपनी लागतों को कवर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिसका सीधा असर मरीजों की जेब पर पड़ेगा।

दवाओं की सीलिंग प्राइस क्या है?

Medicine: सीलिंग प्राइस का अर्थ है कि किसी विशेष दवा की अधिकतम कीमत को सरकार द्वारा निर्धारित करना। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोग आवश्यक दवाएं सस्ती कीमतों पर प्राप्त कर सकें। लेकिन जब इन कीमतों में 50% की वृद्धि होती है, तो यह आम जनता के लिए एक चिंता का विषय बन जाता है।

सरकार का निर्णय: क्या यह सही है?

Medicine: सरकार का यह कदम निश्चित रूप से एक चुनौतीपूर्ण निर्णय है। दवा मूल्य निर्धारण में बढ़ोतरी के पीछे के कारणों को समझना आवश्यक है। NPPA ने बताया कि हाल ही में कंपनियों ने कुछ फॉर्मूलेशनों को उनकी व्यवहार्यता के कारण बंद करने का आवेदन किया है। इसका मतलब यह है कि यदि दवा निर्माताओं को उचित मूल्य नहीं मिलेगा, तो वे दवाएं बनाना बंद कर सकते हैं, जिससे आवश्यक दवाओं की उपलब्धता और भी कम हो जाएगी।

बढ़ती लागत के प्रभाव
  1. मरीजों पर आर्थिक बोझ: जैसे-जैसे दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी, मरीजों को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक खर्च करना पड़ेगा। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोग दवाएं खरीदने में असमर्थ हो सकते हैं, जिससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ सकती है।
  2. अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव: जब दवा की कीमतें बढ़ेंगी, तो मरीजों को अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर भी खर्च करने में कठिनाई होगी। इससे अस्पतालों में इलाज के लिए जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आ सकती है, जो कि गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
सरकारी उपाय: एक उम्मीद की किरण

Medicine: सरकार ने इस निर्णय के साथ ही यह भी कहा है कि यह कदम व्यापक सार्वजनिक हित में उठाया गया है। DPCO-2013 के पैरा 19 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए NPPA ने आठ दवाओं के 11 फॉर्मूलेशनों की अधिकतम कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी है। यह फैसला सरकार के लिए एक चुनौती हो सकता है, लेकिन इसे सही तरीके से लागू करने की आवश्यकता है ताकि मरीजों को दवाएं समय पर मिल सकें।

मरीजों के अधिकार

Medicine: मरीजों को यह अधिकार है कि वे आवश्यक दवाएं सस्ती कीमतों पर प्राप्त कर सकें। यदि दवाओं की कीमतें इतनी बढ़ती हैं कि आम आदमी उन्हें खरीदने में असमर्थ हो जाता है, तो यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वे इस मुद्दे का समाधान करें।

निष्कर्ष

Medicine: दवा की कीमतों में बढ़ोतरी एक गंभीर समस्या है, जिसे हमें गंभीरता से लेना चाहिए। यह न केवल मरीजों के स्वास्थ्य पर असर डालता है, बल्कि समाज के समग्र स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डालता है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि आवश्यक दवाएं सभी लोगों के लिए उपलब्ध हो सकें। हमें उम्मीद है कि यह निर्णय सही दिशा में होगा और इससे मरीजों को सही दवाएं समय पर मिल सकेंगी।

आखिरकार, स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है, और इसे बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।

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