Leptospirosis: जानिए क्या है लेप्टोस्पायरोसिस और क्या हैं इसके लक्षण…

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Leptospirosis

Leptospirosis:लेप्टोस्पायरोसिस एक तरह का Bacterial Infection है, जो इंसानों और जानवरों दोनों को संक्रमित कर सकता है।यह लेप्टोस्पाइरा genus के Bacteria के कारण होता है। इंसानों में लेप्टोस्पाइरा के कई तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। जिनमें से कई अन्य बीमारियों के लक्षणों से मिलते हैं। इसके अलावा कई मरीजों में इसका एक भी लक्षण नजर नहीं आता। लेप्टोस्पायरोसिस कोई मामूली बीमारी नहीं है, इसका समय पर इलाज न होने से Kidney damage, Liver Failure, सांस संबंधी समस्या और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।

Leptospirosis: क्या है लेप्टोस्पायरोसिस, जिसके मामले मुंबई में तेजी से बढ़ रहे हैं

Leptospirosis इन दिनों मुंबई में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। BMC के मुताबिक जून के मुकाबले जुलाई में इस संक्रमण के ज्यादा Cases सामने आए हैं। वहीं अब भी ज्यादातर लोग इस बीमारी से अनजान हैं और नहीं जानते कि लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण क्या है और इस दौरान कैसे रखे खुद का ध्यान?

Leptospirosis: हाल में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई में बरसात के बाद चिकनगुनिया और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले बढ़े हैं। बारिश में मच्छरों के कारण होने वाली बीमारी चिकनगुनिया के बारे में तो लोग जानते हैं, लेकिन शायद लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में जानकारी कम ही लोग रखते होंगे। आपको बता दें कि BMC के मुताबिक, जुलाई के शुरुआती 16 दिनों में इस संक्रमण के 104 मामले आए हैं, जबकि जून में यह आंकड़ा 97 था।

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Leptospirosis इन्फेक्शन कैसे होता है?

लेप्टोस्पायरोसिस का कारण बनने वाले Bacteria संक्रमित जानवरों के मूत्र के माध्यम से फैलते हैं, जो पानी या मिट्टी में मिल सकते हैं और वहां हफ्तों से लेकर महीनों तक जीवित रह सकते हैं। जिसकी वजह से कई अलग-अलग तरह के जंगली और घरेलू जानवर इन Bacteria की चपेट में आ जाते हैं और संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।

इनमें भेड़, सुअर, घोड़े, कुत्ते, चूहे समेत अन्य जंगली जानवर भी शामिल हो सकते हैं, जो इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। वहीं, इंसानों में यह Infection संक्रमित जानवरों के मूत्र या लार को छोड़कर शरीर के अन्य तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैल सकता है।

Leptospirosis के लक्षण क्या हैं?

लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित इंसानों में इसके कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसमें:

तेज बुखार

सिर दर्द

ठंड लगना

मांसपेशियों में दर्द

उल्टी होना

पीलिया (जॉन्डिस)

लाल आंखें

पेट में दर्द

दस्त

खरोंच शामिल है।

व्यक्ति के इस संक्रमण के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय 2 दिन से 4 सप्ताह तक हो सकता है। बीमारी आमतौर पर बुखार और अन्य लक्षणों के साथ अचानक शुरू होती है। हालांकि, कुछ मामलों में लेप्टोस्पायरोसिस दो चरणों में हो सकता है।

First stage के बाद (बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी या दस्त के साथ) Patient कुछ समय के लिए ठीक हो सकता है, लेकिन फिर बीमार हो जाता है। जबकि दूसरे चरण में यह लक्षण बेहद गंभीर हो जाते हैं; वहीं, कुछ लोगों में किडनी या लिवर फेलियर हो सकता है। यह बीमारी कुछ दिनों से लेकर 3 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकती है। अगर सही इलाज न मिले, तो ठीक होने में कई महीने लग सकते हैं।

Leptospirosis का इलाज क्या है?

लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज Antibiotic दवाओं से किया जा सकता है, जिन्हें बीमारी की शुरुआत में ही Doctor से संपर्क कर के लिया जाना चाहिए। वहीं, अधिक गंभीर लक्षणों वाले व्यक्तियों की जांच के बाद ही Doctor इलाज और दवाएं तय करते हैं। हालांकि, किसी भी बीमारी से बचने के लिए परहेज सबसे अच्छा इलाज होता है।

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Leptospirosis से परहेज कैसे करें?

लेप्टोस्पायरोसिस से बचने का सबसे आसान तरीका है, Animals के मूत्र से दूषित पानी में तैरने या उतरने से बचें या संभावित रूप से संक्रमित जानवरों के साथ संपर्क में आने से बचें।

क्या बारिश में Leptospirosis का खतरा बढ़ जाता है?

लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण दूषित पानी के संपर्क में आने या तैरने की वजह से हो सकता है। इसके अलावा बाढ़ वाले क्षेत्रों में या दूषित खाना या पानी का सेवन से भी यह संक्रमण फैल सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण का खतरा Tropical और sub-tropical regions में ज्यादा होता है क्योंकि ये Bacteria गर्म और Humid Environment में तेजी से पनपते हैं। वहीं, बाढ़ का खतरा भी अक्सर बारिश के मौसम में होता है, जब पानी काफी दूषित हो जाता है। इसलिए बारिश के मौसम में लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

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