Tirumala Tirupati and Nandini 2024: तिरुपति लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति करने वाले ब्रांड ‘नंदिनी’ का मालिक कौन है?

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Tirumala Tirupati and Nandini

Tirumala Tirupati and Nandini: तिरुपति लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति करने वाले ब्रांड ‘नंदिनी’ का मालिक कौन है? तिरुपति मंदिर में लड्डू में जानवरों की चर्बी और अन्य मिलावट के मामले में विवाद के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने अब लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी की आपूर्ति करने वाली कंपनी को बदल दिया है। Tirumala Tirupati Devasthanam (TTD) अब अपने लड्डू में ‘नंदिनी’ घी का इस्तेमाल करेगा। कंपनी को आपूर्ति का ऑर्डर भी दे दिया गया है।’नंदिनी’ ब्रांड का स्वामित्व कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के पास है, जो गुजरात की अमूल के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था है।

Tirumala Tirupati and Nandini: तिरुपति लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति करने वाले ब्रांड ‘नंदिनी’ का मालिक कौन है?दक्षिण भारत में भी ‘नंदिनी’ एक जाना-माना नाम है।

उत्तर भारत में अमूल और मदर डेयरी के दूध उत्पादों की लोकप्रियता की तरह ही दक्षिण भारत में भी ‘नंदिनी’ एक जाना-माना नाम है। ‘नंदिनी’ कर्नाटक का सबसे बड़ा दूध ब्रांड है, जो आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और गोवा जैसे पड़ोसी राज्यों में भी मशहूर है।

‘नंदिनी’ ब्रांड का स्वामित्व Karnataka Cooperative Milk Producers Federation Limited (KMF) के पास है, जो गुजरात के अमूल के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था है।

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Tirumala Tirupati and Nandini: तिरुपति लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति करने वाले ब्रांड ‘नंदिनी’ का मालिक कौन है?‘नंदिनी’ उत्पाद बनाने वाली KMF की शुरुआत कैसे हुई?

1955 में कर्नाटक के कोडागु जिले में पहली डेयरी सहकारी संस्था खोली गई। उन दिनों पैकेज्ड दूध का चलन नहीं था। किसान खुद घर-घर दूध पहुंचाते थे। दूध की कमी भी थी। 1970 के दशक तक दूध उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाने लगा। जनवरी 1970 में दूध क्रांति की शुरुआत हुई, जिसे ‘श्वेत क्रांति’ कहा गया। विश्व बैंक ने भी डेयरी परियोजनाओं से जुड़ी कई योजनाएं बनाईं।

1974 में कर्नाटक सरकार ने विश्व बैंक की डेयरी परियोजनाओं को लागू करने के लिए राज्य में कर्नाटक डेयरी विकास निगम (केडीसीसी) का गठन किया। दस साल बाद, 1984 में, डेयरी विकास निगम का नाम बदलकर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन कर दिया गया।

इसी समय, कंपनी ने ‘नंदिनी’ ब्रांड नाम से पैकेज्ड दूध और अन्य उत्पाद भी बाजार में उतारे। समय के साथ, ‘नंदिनी’ कर्नाटक में सबसे लोकप्रिय ब्रांड बन गया और पड़ोसी राज्यों में भी अपनी पकड़ बना ली।

Tirumala Tirupati and Nandini: तिरुपति लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति करने वाले ब्रांड ‘नंदिनी’ का मालिक कौन है?KMF कैसे काम करता है?

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन राज्य के 15 डेयरी संघों का नेतृत्व करता है। इनमें बेंगलुरु सहकारी दूध संघ, कोलार सहकारी दूध संघ, मैसूर सहकारी दूध संघ और कई अन्य शामिल हैं। ये डेयरी संघ जिला स्तरीय Dairy Co-operative Societies (DCS) के माध्यम से हर गांव से दूध खरीदते हैं और फिर इसे KMF तक पहुंचाते हैं।

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, डेयरी सहकारी 24,000 गांवों में रहने वाले 26 लाख किसानों से हर दिन 86 लाख किलो से अधिक दूध खरीदता है।

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की सबसे खास बात यह है कि यह अपने ज्यादातर दूध सप्लायरों को रोजाना भुगतान करता है, जो ज्यादातर छोटे किसान और दूध उत्पादक हैं। फेडरेशन के मुताबिक, यह हर दिन दूध उत्पादकों को 28 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान करता है। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के पास कुल 15 यूनिट हैं, जहां यह दूध को प्रोसेस और पैक करता है। इसके बाद यह मार्केटिंग और बिक्री का काम करता है।

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Tirumala Tirupati and Nandini: तिरुपति लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति करने वाले ब्रांड ‘नंदिनी’ का मालिक कौन है? अमूल के मुकाबले नंदिनी कहां खड़ी है?

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ‘नंदिनी’ ब्रांड के तहत दूध, दही, मक्खन, पनीर, चीज, फ्लेवर्ड मिल्क, चॉकलेट, रस्क, कुकीज, ब्रेड, नमकीन, आइसक्रीम जैसे 148 से ज्यादा उत्पाद बनाती है।

2022-23 में KMF का कुल कारोबार 19,784 करोड़ रुपये रहा। वहीं, अमूल के मालिक गुजरात Co-operative Milk Marketing Federation का कारोबार करीब 61,000 करोड़ रुपये रहा। वर्तमान में कर्नाटक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एमके जगदीश KMF के प्रबंध निदेशक और CEO हैं।

Tirumala Tirupati and Nandini: तिरुपति लड्डुओं के लिए घी की आपूर्ति करने वाले ब्रांड ‘नंदिनी’ का मालिक कौन है? नंदिनी और अमूल में क्यों है तकरार?

अमूल और नंदिनी प्रतिस्पर्धी हैं। पिछले साल जब अमूल ने कर्नाटक के खुदरा बाजार में उतरने का फैसला किया तो इस पर काफी हंगामा हुआ था। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने दावा किया कि दोनों सहकारी समितियों के बीच हमेशा से एक अलिखित समझौता रहा है कि वे तब तक एक-दूसरे के बाजार में प्रवेश नहीं करेंगे जब तक वे अपनी-अपनी मांगें पूरी नहीं कर लेते।

हालांकि, अमूल ने दावा किया कि कर्नाटक के कई शहरों, खासकर बेंगलुरु में दूध की मांग पूरी नहीं हो पा रही है और इसलिए उसने E-commerce Platform के जरिए दूध बेचने का फैसला किया है।

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